लातूर में महाबीज के सोयाबीन बीज का शॉर्टेज होने के कारण किसानों को निजी कंपनियों के बीज खरीदने पड़ रहे हैं. राज्य सरकार द्वारा संचालित महाराष्ट्र स्टेट सीड कॉरपोरेशन लिमिटेड (महाबीज़) की ओर से इस साल लातूर जिले के लिए मांग के सिर्फ 40 परसेंट सोयाबीन बीज के बैग ही भेजे गए हैं. इस साल लातूर के डीलर की ओर से 39840 क्विंटल सोयाबीन के बीज की मांग की गई थी. इसके लिए डीलर ने महाबीज कंपनी को पैसे देकर बुकिंग कराई थी, लेकिन इसमें से सिर्फ 16328 क्विंटल सोयाबीन बीज ही कंपनी की ओर से भेजा गया है. इससे किसानों को बुआई के लिए निजी कंपनियों के सोयाबीन बीज मुंहमांगी कीमत देकर खरीदना पड़ रहा है.
इस शॉर्टेज के बारे में बताते हुए किसान विजय बिराजदार ने कहा कि हम मार्केट में महाबीज का सोयाबीन बीज खरीदने के लिए आए हैं, लेकिन हमें किसी भी दुकान में महाबीज कंपनी का बीज नहीं मिल रहा है. सब दुकानदार हमें इस साल महाबीज के बीज का शॉर्टेज बताकर ऑनलाइन बुकिंग करने की बात कह रहे हैं. इसका फायदा उठाकर अब निजी कंपनियों ने अपने बीजों के दाम बढ़ा दिए हैं. ऐसे में किसानों के पास इन निजी कंपनियों के बीज खरीदने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है.
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महाराष्ट्र राज्य में आमतौर पर सभी किसान गुणवत्ता के कारण महाबीज के बीज को ही खरीदने में दिलचस्पी रखते हैं. राज्य सरकार द्वारा संचालित महाराष्ट्र स्टेट सीड कॉरपोरेशन लिमिटेड में तैयार किए गए बीज की उपज क्षमता 80 प्रतिशत से ज्यादा है. इसके साथ ही अगर किसी किसान को यह उपज नहीं मिल पाती है, तो उसे महाबीज की तरफ से भरपाई भी की जाती है. महाबीज का बीज खरीदते समय बीज के बाग पर टैग दिया जाता है. अगर फसल नाकाम होती है तो उसी टैग के आधार पर किसान को भरपाई की जाती है. यही वजह है कि सभी किसान महाबीज का बीज ही खरीदना चाहते हैं.
इस साल महाबीज कंपनी के सोयाबीन बीज की कमी के बारे में महाबीज के जिला कॉर्डिनेटर आर एस मोराले कहते हैं, इस साल लातूर जिले के लिए जिला परिषद के कृषि विभाग की ओर से महाबीज कंपनी से 39840 क्विंटल सोयाबीन बीज की मांग की गई थी. इसमें से लातूर जिले के लिए महाराष्ट्र स्टेट सीड कॉरपोरेशन लिमिटेड अकोला की ओर से 19832 क्विंटल सोयाबीन सीड्स का अलॉटमेंट दिया गया है. इस अलॉटमेंट में से अभी तक 16328 क्विंटल सोयाबीन बीज लातूर जिले को मिला है और बाकी जल्दी ही मिलेगा.
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इस साल महाबीज के बीज का शॉर्टेज होने का कारण यह है कि पिछले साल ज्यादा बारिश होने के कारण सोयाबीन खराब हुआ था. इसके चलते महाबीज कंपनी ने ऐसे खराब सोयाबीन को रिजेक्ट किया. इस कारण से महाबीज कंपनी को बीज बनाने के लिए सोयाबीन की आवक कम मिली. आवक कम मिलने के कारण बीज का प्रोडक्शन भी कम हुआ. यही वजह है कि इस साल कंपनी में सोयाबीन बीज का शॉर्टेज हुआ है. इस कमी का असर ये हुआ कि किसानों को सोयाबीन बीज प्राइवेट कंपनियों से खरीदना पड़ रहा है. महाबीज कंपनी का बीज किसानों को सस्ते में मिलता रहा है, लेकिन अभी किसान निजी कंपनियों से महंगे में बीज खरीद रहे हैं.
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