मध्य प्रदेश सरकार किसानों की आय बढ़ाने और खेती को मुनाफे का सौदा बनाने के लिए नई-नई योजनाएं और कार्यक्रम शुरू कर रही है. इसी क्रम में मध्य प्रदेश कैबिनेट ने मंगलवार को "कृषक कल्याण मिशन" के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इस मिशन का उद्देश्य किसानों की कल्याणकारी योजनाओं को एक छतरी के नीचे लाना है. मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में कृषक कल्याण मिशन (केकेएम) को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई. वहीं, सरकार ने राज्य में कृषि उत्पादकता, फसल उत्पादन और कृषि बजट में हुई वृद्धि को लेकर भी आंकड़े सहित जानकारी दी है.
बताया गया कि मध्य प्रदेश ने कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है. कृषि उत्पादकता (किलोग्राम प्रति हेक्टेयर) 2002-2003 में 1,195 से बढ़कर 2024 में 2,393 हो गई है यानी 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. फसल उत्पादन (लाख मीट्रिक टन) में 323 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 2002-2003 में 224 से बढ़कर 2024 में 723 हो गया है. कृषि विकास दर 2002-2003 में 3 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 9.8 प्रतिशत हो गई है. इसके साथ ही कृषि बजट 2002-2003 में 600 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024 में 27,050 करोड़ रुपये हो गया है.
राज्य सरकार का कहना है कि "कृषक कल्याण मिशन" पहल से किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग, बागवानी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग, मत्स्य पालन विभाग, पशुपालन और डेयरी विभाग, सहकारिता विभाग और खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा कार्यान्वित योजनाओं को एक साथ लाती है. एक अधिकारी ने बताया कि इसका लक्ष्य पूरे राज्य में किसानों के लिए समन्वित विकास सुनिश्चित करना है.
मिशन के उद्देश्यों में किसानों की आय बढ़ाना, जलवायु के अनुकूल कृषि को बढ़ावा देना, टिकाऊ प्रथाओं को अपनाना, जैव विविधता और पारंपरिक कृषि ज्ञान को संरक्षित करना, पोषण और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना और किसानों की उपज के लिए उचित मूल्य की गारंटी देना शामिल है. अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री मिशन की आम सभा के अध्यक्ष होंगे, जबकि मुख्य सचिव कार्यान्वयन के लिए कार्यकारी समिति के प्रमुख होंगे. इसके अलावा जिला स्तर पर कलेक्टर मिशन की अध्यक्षता करेंगे और इसे चलाने का काम करेंगे.
अधिकारी ने कहा कि मध्य प्रदेश में कृषि क्षेत्र का योगदान राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 39 प्रतिशत है. प्रेस रिलीज में बताया कि मिशन के जरिए किसानों की आय में वृद्धि के लिए सहकारिता और मत्स्य पालन के तहत सहकारिता के माध्यम से दूध कलेक्शन करने के कवरेज को 26000 ग्रामों तक ले जाया जाएगा.
दूध कलेक्शन और प्रोसेसिंग की वर्तमान क्षमता को बढाकर 50 लाख लीटर प्रति दिन किया जाएगा. पशुओं में स्टॉल फीडिंग और मिनरल मिक्स्चर का घरेलू विकल्प का इस्तेमाल से निराश्रित गौवंश की संख्या में कमी लाई जाएगी. मत्स्य पालन क्षेत्र में आय वृद्धि के लिए आधुनिक तकनीकों का प्रयोग - Cage Farming और Biofloc, मछुआ/किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर लोन उपलब्ध कराकर स्व-रोजगार को बढ़ावा दिया जाएगा. (पीटीआई)
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