प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में घोटाला! किसान का खेत और खाता दोनों खाली

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में घोटाला! किसान का खेत और खाता दोनों खाली

दूर दराज के जिलों और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में टपक सिंचाई की आपूर्ति और भौतिक परीक्षण के नाम पर बड़े स्तर पर घोटाला हुआ है जहां किसानों से झूठ कहकर उनके आधार कार्ड का दुरुपयोग किया गया है और सीधे सादे किसानों के नाम पर सब्सिडी की राशि निकाल ली गई है.

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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में घोटाला! किसान का खेत और खाता दोनों खालीपीएम कृषि सिंचाई योजना में घोटाला! फोटोः किसान तक

झारखंड में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है. ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ योजना के तहत किसानों को 90 फीसदी सब्सिडी में टपक सिंचाई योजना का लाभ दिया जाता है. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत देशभर के किसानों को इसका लाभ मिलता है. झारखंड में इस योजना की शुरुआत 2011 में हुई. योजना का मुख्य उद्देश्य पानी बचाते हुए बेहतर सिंचाई सुविधा उपलब्ध करना है. योजना का क्रियान्वयन कृषि निदेशालय की देखरेख में होता है.जिसके अंतर्गत सक्षम संस्थाओं द्वारा जिलास्तर पर किसानों से आवेदन लिया जाता है. किसानों के आवेदन पत्र का पर्यवेक्षण करने के बाद जिला स्तर पर राज्यादेश जारी किया जाता है.

उसके आधार पर टपक सिंचाई की आपूर्ति करने वाली एजेंसिया संबंधित किसानों के खेत में जाकर विभागीय निर्देश के अनुसार टपक सिंचाई प्रणाली के लिए सभी पाइप और मशीन को इंस्टॉल करती है. इसके बाद किसान के खेत का फिजिकल वेरिफिकेशन किया जाता है. सब कुछ सही पाए जाने के बाद एजेंसी को सब्सिडी की राशि दे दी जाती है. 

योजना में हुआ है घोटाला!

पर इतनी लाभकारी योजना को दलालों और भ्रष्ट अधिकारियों की कार्यशैली ने सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है. इसका ताजा उदाहरण हजारीबाग के चार प्रखंड चौपारण, इचाक, चुरचू और केरेडारी में सामने आया है, लेकिन अमूमन पूरे राज्य में इस योजना को लेकर यही स्थित है. दूर दराज के जिलों और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में टपक सिंचाई की आपूर्ति और भौतिक परीक्षण के नाम पर बड़े स्तर पर घोटाला हुआ है जहां किसानों से झूठ कहकर उनके आधार कार्ड का दुरुपयोग किया गया है और सीधे सादे किसानों के नाम पर सब्सिडी की राशि निकाल ली गई है. प्रारंभिक स्तर घोटाले की राशि का अनुमान करोड़ो में लगाया जा रहा है. 

खेत में नहीं लगा सिस्टम और निकाल लिए गए पैसे

झारखंड किसान महसभा के प्रतिनिधियों और इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार पीडीएमसी योजना का लाभ उन किसानों को भी दिया गया जिन्हें इस योजना की जरूरत नहीं थी. इतना ही नहीं योजना के लाभ के लिए सिर्फ किसान के आधार कार्ड का इस्तेमाल किया गया. उसके नाम से जो पैसा आया वो भी निकाल लिया गया, पर किसान के खेत में एक भी पाइप नहीं लगा. 

सवालों से बचते दिखे नाबार्ड के जीएम

इस मामले को लेकर जब किसान तक ने नाबार्ड झारखंड के जीएम गौतम कुमार से संपर्क किया तो उन्होंने स्पष्ट कहा की वो इस बारे में कुछ भी नहीं कहेंगे. फोन पर हुई बातचीत में वो सवालों से बचते दिखे. जबकि नाबार्ड के अंतर्गत संचालित एजेंसी NABCONS ही थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन का काम करती है. सही किसानों तक सही लाभ पहुंचा है या नहीं इसकी जांच का जिम्मा NABCONS के पास है. इसकी पुष्टि के बाद ही ड्रिप इरिगेशन लगाने वाली कंपनी के खाते में पैसे दिए जाते हैं. 

दोषियों पर दर्ज की जाएगी प्राथमिकी

इस बारे में सवाल पूछने पर कृषि निदेशक झारखंड चंदन कुमार ने कहा कि इस बारे में NABCONS से सवाल किया गया है. जो भी इस मामले में दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. झारखंड जैसे राज्य में जहां पर सिंचाई एक बड़ी समस्या है, अगर यहां पर इस तरह की गड़बड़ी सामने आ रही है तो यह जांच का विषय है. कृषि निदेशक ने कहा कि जरूरत पड़ी तो इस मामले में प्राथमिकी भी दर्ज की जाएगी. उन्होंने बताया की इस योजना के अंतर्गत लाभुक किसानों की सूची सभी जिला के वेबसाइट पर डाल दी गई है. कोई भी किसानों की लिस्ट देखकर क्रॉसचेक कर सकता है.

कार्रवाई नहीं करने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी 

वहीं झारखंड किसान महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष पंकज रॉय ने कहा कि झारखंड में संचालित इतनी महत्वपूर्ण योजना में इस तरह की गड़बड़ी का सामने आना चिंता का विषय है. यह विभाग के लिए शर्म की बात है कि जिस राज्य में किसान सिंचाई के अभाव में खेती नहीं कर पाते हैं उस राज्य में सिंचाई योजना में घोटाला सामने आ रहा है. उन्होंने कहा कि विभाग को इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए और दोषियो के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए. अगर विभाग जल्द इस मामले में कार्रवाई नहीं करता है तो किसान महसभा उग्र आंदोलन करेगा और इस मामले को अदालत तक ले जाने का कार्य करेगा. 


    

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