बिहार में बंद पड़ी शुगर मिलें जल्द शुरू होंगीबिहार में बंद पड़ी चीनी मिलों को शुरू करने की कवायद तेज हो गई है. बीते दिनों मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक टीम गठित की गई, जो बंद चीनी मिलों को चालू करने में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए जांच-पड़ताल करेगी. एक बार फिर बिहार में मीठे उद्योग के फलने-फूलने के संकेत दिखाई देने लगे हैं.
आज से करीब ढाई दशक से अधिक समय पहले बिहार के किसानों के लिए चीनी मिल कमाई का सबसे बड़ा माध्यम थी. लेकिन बदलते समय के साथ बिहार के किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने वाली कई चीनी मिलें बंद पड़ गईं. इसके बाद से बंद चीनी मिलों को फिर से शुरू करने की राजनीति गलियारों से लेकर किसानों के बीच हमेशा चर्चा का केंद्र रही. लेकिन लंबे समय से बंद चीनी मिलों को शुरू करने की आवाज का एक नई दिशा बिहार में बनी नई एनडीए सरकार के तौर पर देखी जा रही है.
जहां बीते दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में राज्य की मढ़ौरा चीनी मिल सहित 9 बंद पड़ी चीनी मिलों को चालू करने की मंजूरी दी गई. वहीं ठीक उसके 24 घंटे बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में भी एक टीम गठित की गई है, जो बंद चीनी मिलों को चालू कराने में आ रही बाधाओं को दूर किया जा सके.
बिहार में बंद चीनी मिलों को चालू करने का मुद्दा राज्य और केंद्र, दोनों चुनावों में बड़ा विषय रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और गृह मंत्री अमित शाह से लेकर विपक्ष के कई नेताओं ने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान बंद चीनी मिलों को चालू करने की घोषणा कई सभाओं में की थी. यहां तक कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार की मीठी चाय पीने का जिक्र कर चुके थे. अब उन वादों की झलक नई एनडीए सरकार में दिखने लगी है. गन्ना उद्योग विभाग बंद पड़ी चीनी मिलों को चालू कराने के साथ राज्य में नई चीनी मिलें लगाने की तैयारी में जुट गया है.
बिहार में बनी नई एनडीए सरकार की मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में पहली कैबिनेट बैठक हुई, जिसमें राज्य की बंद चीनी मिलों को चालू करने की स्वीकृति दी गई. इसमें समस्तीपुर, दरभंगा की सकरी इकाई, रैयाम इकाई, मुजफ्फरपुर की मोतीपुर इकाई, कावनपुर शुगर वर्क्स लिमिटेड मढ़ौरा, कावनपुर शुगर वर्क्स लिमिटेड बारा चकिया पूर्वी चंपारण, कावनपुर शुगर वर्क्स लिमिटेड चनपटिया पश्चिम चंपारण, श्री हनुमान शुगर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड मोतिहारी और सासामूसा शुगर वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड गोपालगंज शामिल हैं. इसमें मोतिहारी और सासामूसा की चीनी मिलें निजी क्षेत्र की हैं.
बिहार की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाली कई चीनी मिलें पिछले तीन दशक में बंद हो गईं, जिससे किसानों की आमदनी का एक बेहतर साधन और रोजगार का बड़ा माध्यम खत्म हो गया. दरभंगा की सकरी चीनी मिल 1996 में और रैयाम चीनी मिल 1993 में बंद हुई थी. इन दोनों को शुरू करने के लिए गन्ना उद्योग विभाग ने भूमि अधिग्रहण कर लिया है. राज्य की पहली बनी चीनी मिल 1997 में बंद हुई थी. इसी प्रकार चकिया और चनपटिया की चीनी मिलें 1994 में बंद हो गई थीं.
राज्य में ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन (बीआईसी) समूह की तीन चीनी मिलें संचालित थीं—कावनपुर शुगर वर्क्स लिमिटेड मढ़ौरा, कावनपुर शुगर वर्क्स लिमिटेड बारा चकिया और कावनपुर शुगर वर्क्स लिमिटेड चनपटिया. बंद चीनी मिलों को फिर से शुरू करने के बारे में गन्ना उद्योग मंत्री संजय कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर विभाग राज्य की बंद नौ चीनी मिलों को चालू करने और नई मिलें लगाने की तैयारी में जुट गया है.
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