जानें क्‍यों कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने वायनाड की जगह चुना उत्‍तर प्रदेश के रायबरेली को 

जानें क्‍यों कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने वायनाड की जगह चुना उत्‍तर प्रदेश के रायबरेली को 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को ऐलान किया कि वह उत्‍तर प्रदेश के रायबरेली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र को बरकरार रखेंगे तो वहीं केरल की वायनाड सीट को छोड़ रहे हैं. राहुल ने दोनों ही सीटें उन्होंने हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में जीती थीं. राहुल का यह फैसला 4 जून को चुनाव परिणाम घोषित होने के दो हफ्तों के अंदर आया है.

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जानें क्‍यों कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने वायनाड की जगह चुना उत्‍तर प्रदेश के रायबरेली को  रायबरेली में रहेंगे राहुल गांधी, वायनाड की सीट छोड़ने का फैसला

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को ऐलान किया कि वह उत्‍तर प्रदेश के रायबरेली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र को बरकरार रखेंगे तो वहीं केरल की वायनाड सीट को छोड़ रहे हैं. राहुल ने दोनों ही सीटें उन्होंने हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में जीती थीं. राहुल का यह फैसला 4 जून को चुनाव परिणाम घोषित होने के दो हफ्तों के अंदर आया है. भारतीय संविधान के कोई भी शख्‍स एक साथ दो जगह से चुनाव लड़ सकता है. दोनों जगहों से जीतने पर उसे नतीजे आने के दो हफ्तों के अंदर दो निर्वाचन क्षेत्रों में से एक को चुनना पड़ता है. वहीं एक्‍सपर्ट्स अब इस बारे में बात करने लगे हैं कि आखिर राहुल गांधी ने वायनाड की जगह रायबरेली को क्‍यों चुना. 

समर्थकों में जाता नकारात्‍मक संदेश 

विशेषज्ञों की मानें तो राहुल ने वायनाड की जगह रायबरेली को चुना क्‍योंकि वह उस राज्‍य से आती है जहां पर सबसे ज्‍यादा लोकसभा सीटें हैं. उत्‍तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्‍य है और यहां पर 80 सीटें हैं. कांग्रेस ने रायबरेली समेत इन लोकसभा चुनावों के छह सीटें जीती हैं. वहीं विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि राहुल रायबरेली सीट छोड़कर समर्थकों में नकारात्‍मक संदेश नहीं देना चाहते थे. रायबरेली हमेशा से कांग्रेस का एक मजबूत गढ़ रहा है और साल 2004 से पार्टी की स्थिति यहां पर और मजबूत हुई है. उस साल सोनिया गांधी ने यहां से चुनाव जीता था. 

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पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कुछ इसी तरह की टिप्‍पणी की. उन्‍होंने सोमवार को कहा, 'राहुल गांधी अपनी रायबरेली सीट बरकरार रखेंगे क्योंकि रायबरेली पहले से ही उनका करीबी रहा है और उस क्षेत्र का परिवार से बहुत लगाव है. दूसरी ओर वायनाड छोड़ने पर राहुल ने खुद कहा, 'मेरा रायबरेली से पुराना रिश्ता है और मुझे खुशी है कि मुझे फिर से उनका प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा. लेकिन यह एक कठिन फैसला था.' अब राहुल की बहन और वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा उपचुनाव में वायनाड सीट से चुनाव लड़ेंगी. 

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रायबरेली से कांग्रेस का पुराना नाता 

विशेषज्ञों की मानें तो रायबरेली को बरकरार रखने का राहुल का फैसला उनके परिवार और भारत में लोकसभा चुनावों की शुरुआत से ही इस निर्वाचन क्षेत्र के साथ कांग्रेस पार्टी के लंबे जुड़ाव की वजह से है. कांग्रेस ने सन् 1977, 1996 और 1998 को छोड़कर सभी लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की इस महत्वपूर्ण सीट पर जीत हासिल की है. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राहुल के दादा फिरोज गांधी भी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. ऐसे में रायबरेली में राहुल भी अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने का लक्ष्य रखेंगे. 

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सोनिया गांधी ने 2004 से 2019 तक इस सीट पर जीत हासिल की थी. राहुल ने इस बार रायबरेली में करीब 400,000 वोट से जीत दर्ज की है. वहीं उन्‍होंने वायनाड में भी 350,000 से अधिक मतों से जीत हासिल की. कांग्रेस ने इस बार के लोकसभा चुनावों में कुल 99 सीटें जीतीं. यह सालन 2019 के प्रदर्शन की तुलना में एक बड़ी छलांग है जब पार्टी के खाते में 52 सीटें ही आई थीं.

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