scorecardresearch
एक 'सेवक' को 'अहंकारी' नहीं होना चाहिए, किसकी तरफ है आरएसएस चीफ मोहन भागवत का इशारा 

एक 'सेवक' को 'अहंकारी' नहीं होना चाहिए, किसकी तरफ है आरएसएस चीफ मोहन भागवत का इशारा 

राष्‍ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत की सोमवार को गई टिप्‍पणी इस समय काफी चर्चा में है. उन्‍होंने सोमवार को कहा था कि एक सच्चा 'सेवक' अहंकारी नहीं होता और वह गरिमा बनाए रखते हुए लोगों की सेवा करता है. लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद उनकी यह टिप्‍पणी काफी महत्‍वपूर्ण मानी जा रही है. इन चुनावों में नरेंद्र मोदी सरकार को रिकॉर्ड तीसरी बार सत्ता मिली, लेकिन उसे कम जनादेश मिला है.

advertisement
आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने दिया बड़ा बयान आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने दिया बड़ा बयान

राष्‍ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत की सोमवार को गई टिप्‍पणी इस समय काफी चर्चा में है. उन्‍होंने सोमवार को कहा था कि एक सच्चा 'सेवक' अहंकारी नहीं होता और वह गरिमा बनाए रखते हुए लोगों की सेवा करता है. लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद उनकी यह टिप्‍पणी काफी महत्‍वपूर्ण मानी जा रही है. इन चुनावों में नरेंद्र मोदी सरकार को रिकॉर्ड तीसरी बार सत्ता मिली, लेकिन उसे कम जनादेश मिला है. कई लोग यह भी कह रहे हैं कि उनकी टिप्‍पणी कहीं न कहीं पीएम मोदी की तरफ एक बड़ा इशारा है. 

फेल हो गया आक्रामक अभियान 

भागवत ने नागपुर में एक कार्यक्रम में कहा, 'जो वास्तविक सेवक है, जिसका वास्तविक सेवक कह सकता है, वह मर्यादा से चलता है. उस मर्यादा का पालन करके जो चलता है, वह कर्म करता है लेकिन कर्मों में लिपट नहीं होता. उसमें अहंकार नहीं आता कि मैंने किया और वही सेवक कहने का अधिकारी रहता है.'  

बीजेपी के वैचारिक मार्गदर्शक आरएसएस प्रमुख के शब्द इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि पार्टी आक्रामक चुनाव अभियान के बावजूद एनडीए के महत्वाकांक्षी '400 पार ' के नारे से बहुत पीछे रह गई. पार्टी 272 के बहुमत के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच पाई. बीजेपी ने 543 लोकसभा सीटों में से 240 सीटें जीतीं. माना जा रहा है कि इंडिया ब्‍लॉक की जबरदस्‍त कैंप‍ेनिंग ने मोदी लहर को रोक दिया.  केंद्र में गठबंधन सरकार बनाने के लिए भाजपा ने टीडीपी के एन चंद्रबाबू नायडू और जेडी(यू) के नीतीश कुमार सहित एनडीए सहयोगियों पर भरोसा किया. 

यह भी पढ़ें-जानिए लोकसभा में क्‍या होती हैं स्‍पीकर की शक्तियां, क्‍यों बीजेपी और साथियों के लिए महत्‍वपूर्ण है पद   

कड़वे चुनावी अभियान की बात 

आरएसएस प्रमुख ने 'दोनों पक्षों' की तरफ से किए गए कड़वे चुनावी अभियान के बारे में भी बात की. उन्‍होंने इस बात पर भी जोर दिया कि किस तरह से शिष्‍टाचार का पालन नहीं किया गया.  उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि इसमें आरएसएस को भी घसीटा गया.  उन्होंने कहा, 'जिस तरह से लोग एक-दूसरे को गाली देते हैं, तकनीक का दुरुपयोग करते हैं और चुनाव प्रचार के दौरान फर्जी खबरें फैलाते हैं, वह सही नहीं है.'  राजनीतिक दलों द्वारा किए गए कड़वे चुनाव प्रचार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मर्यादा का ख्याल नहीं रखा गया. उन्होंने लोकतांत्रिक ढांचे में विपक्ष की भूमिका पर एक सूक्ष्म दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह 'विरोधी पक्ष' नहीं बल्कि 'प्रतिपक्ष' है (विपक्ष प्रतिद्वंद्वी नहीं है). 

यह भी पढ़ें-कृष‍ि मंत्रालय का काम संभालने के बाद श‍िवराज स‍िंह चौहान ने कही बड़ी बात, गारंटी पूरा करने का ल‍िया संकल्प

चुनाव आम सहमति की प्रक्रिया 

उन्होंने सरकार और विपक्ष के बीच आम सहमति की आवश्यकता पर भी बल दिया. उन्‍होंने कहा कि भले ही उनके बीच मतभेद हों, लेकिन उन्हें एक साथ आना चाहिए और जनता के लिए काम करना चाहिए.  आरएसएस प्रमुख ने कहा, 'चुनाव आम सहमति बनाने की एक प्रक्रिया है. संसद में दो पक्ष होते हैं, ताकि किसी भी प्रश्न के दोनों पहलुओं को प्रस्तुत किया जा सके.' भागवत का कहना था कि पूरी दुनिया में समाज बदल गया है, इसकी वजह से व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ है. यही लोकतंत्र का सार है.

यह भी पढ़ें-पीएम मोदी 18 जून को जाएंगे काशी, किसानों के कॉन्फ्रेंस में लेंगे हिस्सा! 

मणिपुर में शांति हो बहाल  

आरएसएस चीफ भागवत ने इस दौरान मणिपुर का भी जिक्र किया. उन्होंने चुनावी बयानबाजी से ऊपर उठकर मणिपुर विवाद को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाने की जरूरत पर जोर दिया. आरएसएस प्रमुख ने कहा, 'मणिपुर में शांति का इंतजार करते हुए एक साल हो गया है. पिछले 10 सालों से राज्‍य में शांति रही है लेकिन अचानक बंदूक संस्कृति फिर से बढ़ गई है. संघर्ष को प्राथमिकता के तौर पर हल करना महत्वपूर्ण है.'  उन्होंने कहा कि  मणिपुर की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार करना होगा. चुनावी बयानबाजी से ऊपर उठकर देश के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है.  उन्होंने आगे कहा,'हमें चुनावी उन्माद से बाहर निकलना होगा और देश के सामने मौजूद मुद्दों के बारे में सोचना होगा.'