भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पंजाब सरकार की भूमि पूलिंग योजना (Land Pooling Scheme) का तीखा विरोध किया है. पार्टी का कहना है कि यह योजना किसानों की ज़मीन छीनने और उसे रियल एस्टेट माफिया को सौंपने की कोशिश है. पंजाब सरकार की नई योजना के अनुसार, किसानों से ज़मीन लेकर उन्हें बदले में विकसित रिहायशी और व्यावसायिक प्लॉट देने का प्रस्ताव है. एक एकड़ ज़मीन के बदले में किसान को 1,000 वर्ग गज का रिहायशी और 200 वर्ग गज का व्यावसायिक प्लॉट देने का वादा किया गया है.
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने कहा कि इस योजना को किसानों से बिना चर्चा के लागू किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि पंजाब के अन्नदाता योजना बनाने की प्रक्रिया में शामिल नहीं थे, जिससे साफ है कि सरकार की मंशा साफ नहीं है.
तरुण चुघ का आरोप है कि आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार किसानों की उपजाऊ ज़मीन को हथियाकर उसे रियल एस्टेट माफिया और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी लोगों को देना चाहती है.
उन्होंने इसे "लूट पूलिंग" करार दिया और कहा कि यह किसानों की ज़मीन छीनने की साजिश है.
चुघ ने कहा कि अमृतसर में अकेले 4,464 एकड़ ज़मीन को योजना में शामिल किया जा रहा है, जिससे स्थानीय किसानों में गुस्सा और डर है. पूरे पंजाब में लगभग 75,000 एकड़ ज़मीन को इस योजना के तहत लिया जा सकता है.
बीजेपी ने ऐलान किया है कि वे इस योजना को कोर्ट में चुनौती देंगे और पंजाब के हर गाँव तक जाकर इसका विरोध करेंगे. पार्टी ने इसे "तानाशाही योजना" बताया है और कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वे अनशन पर भी जाएंगे.
4 जुलाई को पंजाब बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात कर इस योजना को रद्द करने की मांग की. बीजेपी का कहना है कि वे किसानों के हक में किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं.
पंजाब सरकार का कहना है कि यह योजना पूरी तरह पारदर्शी है और इससे राज्य में नियोजित शहरी विकास को बढ़ावा मिलेगा. सरकार ने दावा किया है कि किसी से ज़मीन जबरन नहीं ली जाएगी. पंजाब में भूमि पूलिंग योजना पर बीजेपी और AAP सरकार के बीच टकराव तेज हो गया है. जहां सरकार इसे विकास का जरिया मान रही है, वहीं बीजेपी इसे किसानों की जमीन छीनने की साजिश बता रही है. अब देखना यह होगा कि किसानों के हित में कौन-सी नीति सच साबित होती है.
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