
भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्ते यूं तो पिछले डेढ़ साल से खराब दौर में हैं. लेकिन पिछले एक हफ्ते से रिश्तों में खाई और ज्यादा बढ़ गई जब एक हिंदू युवक की बेदर्दी से हत्या कर दी गई. जहां भारत में हाईकमीशन से लेकर अलग-अलग हिस्सों में बांग्लादेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी हैं तो वहीं अब चावल निर्यातक चाहते हैं कि भारत सरकार, बांग्लादेश को हो रहे राइस एक्सपोर्ट को बैन करे. कुछ निर्यातकों की इच्छा है कि पिछले हफ्ते चट्टोग्राम में असिस्टेंट हाई कमिश्नर के ऑफिस पर हुए हमले के बाद जिस तरह से भारतीयों पर हमले बढ़े हैं, उसके बाद भारत सरकार को बांग्लादेश को चावल एक्सपोर्ट पर बैन लगा देना चाहिए.
एक्सपोर्टर्स का कहना है कि हालात इतने चिंताजनक हैं कि बांग्लादेश को होने वाली शिपमेंट खतरे में हैं. वे यह भी बताते हैं कि कैसे बांग्लादेश ने कच्चे जूट के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया है, जिससे भारतीय जूट मिलों को प्रोडक्शन कम करना पड़ा है. निर्यातकों के एक समूह का मानना है कि सरकार को खतरनाक एक्सपोर्ट से बचने के लिए कदम उठाने चाहिए. जो लोग भारत से कड़ी प्रतिक्रिया चाहते हैं, उनका कहना है कि अगर सरकार बैन नहीं लगाती है तो एक्सपोर्टर्स को बांग्लादेश के लिए चावल की ज्यादा कीमत बतानी चाहिए.
पिछले हफ्ते बांग्लादेश के चटोग्राम में असिस्टेंट हाई कमिश्नर के ऑफिस पर बांग्लादेशी युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद प्रदर्शनकारियों ने हमला किया था. भारत ने चटोग्राम से वीजा ऑपरेशन सस्पेंड कर दिया है. दूसरी ओर, ढाका ने सोमवार को नई दिल्ली से अपने वीजा ऑपरेशन सस्पेंड कर दिए. यह कदम बांग्लादेश के मैमनसिंह शहर में दीपू चंद दास की हत्या के बाद भारत में उसके हाई कमीशन ऑफिस के सामने हुए प्रदर्शन के बाद उठाया गया है.
हालात की गंभीरता को देखते हुए नाम न बताने की शर्त पर दिल्ली के एक एक्सपोर्टर के हवाले से अखबार बिजनेसलाइन ने लिखा, 'निर्यातकों को बांग्लादेश सरकार की तरफ से जारी किए गए चावल इंपोर्ट टेंडर के लिए बोली नहीं लगानी चाहिए.' बांग्लादेश ने 2025-26 के दौरान स्ट्रेटेजिक स्टॉक बनाने और घरेलू कीमतों को स्थिर करने के लिए 50,000 टन की किस्तों में कम से कम 9,00,000 टन चावल इंपोर्ट करने की योजना बनाई है. ढाका भारतीय चावल का कोई बड़ा खरीदार नहीं है और पिछले कुछ सालों में आयात एक लाख टन से भी कम रहा है. भारत के लिए अफ्रीका सबसे बड़ा खरीदार है.
दो लाख टन चावल म्यांमार, वियतनाम और पाकिस्तान से सरकार-से-सरकार (G2G) समझौते के तहत इंपोर्ट किया जाएगा. बाकी मात्रा टेंडर के जरिए पूरी की जाएगी, जिसमें विदेश के प्राइवेट ट्रेडर हिस्सा ले सकते हैं, जिसमें छह लाख टन उबले हुए चावल और बाकी सफेद चावल होंगे. अब तक ऐसे 10 टेंडर जारी किए गए हैं, जिसमें दसवें टेंडर के लिए चावल देने की बोली सोमवार को खत्म हो गई. दस में से छह टेंडर में भारतीय एक्सपोर्टर सबसे कम बोली लगाने वाले थे या उन्होंने चावल के लिए सबसे कम कीमत की पेशकश की थी.
पहले टेंडर में सबसे कम बोली 359.77 डॉलर प्रति टन थी. यह आठवें टेंडर में गिरकर 351.11 डॉलर हो गई जिसके बाद 10वें टेंडर में यह फिर से बढ़कर 359.77 डॉलर हो गई. हालांकि, G2G समझौते के तहत, पाकिस्तान 395 डॉलर प्रति टन पर सप्लाई करेगा. दक्षिण भारत के एक निर्यातक के अनुसार भारतीय कीमतें पाकिस्तान की तुलना में 40 डॉलर प्रति टन सस्ती हैं जो बांग्लादेश को दे रहा है. भारतीयों को अब जागने की जरूरत है क्योंकि उनके बीच की प्रतिस्पर्धा एक्सपोर्ट सेक्टर को खत्म कर रही है.
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