
पंजाब में किसानों का विरोध प्रदर्शनपंजाब में पटियाला का राजपुरा अभी किला बन गया है और दो किसान यूनियनों के कार्यकर्ता अपनी मांगों को लेकर बॉर्डर पर इकट्ठा होने लगे हैं. हाईवे के दोनों ओर भारी पुलिस बल तैनात है. कौमी इंसाफ मोर्चा (QIM) और किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के प्रदर्शनकारी सदस्यों ने कहा है कि अगर उन्हें दिल्ली की ओर बढ़ने की अनुमति नहीं दी गई तो वे शाम तक शंभू बॉर्डर पर ही रहेंगे.
हालांकि, 2024-2025 के किसान आंदोलन 2.0 के दौरान हुए "पक्का मोर्चा" जैसे किसी भी प्रयास को रोकने के लिए, पुलिस सड़क पर किसी भी ट्रॉली को पार्क नहीं करने दे रही है. इसके बजाय, जो प्रदर्शनकारी किसान अपनी ट्रॉलियों से प्रदर्शन स्थल तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं, उन्हें अपनी गाड़ी किसी खाली जगह पर पार्क करने के लिए कहा गया है.
राजपुरा के छोटे से कस्बे को किले में तब्दील कर दिया गया है और हाईवे के दोनों ओर भारी पुलिस बल तैनात है, क्योंकि किसान संगठनों के कार्यकर्ता शंभू बॉर्डर पर इकट्ठा होने लगे हैं. झंडे लिए कुछ किसानों और क्यूआईएम समर्थकों को पुलिस ने राजपुरा में रोक लिया, जहां भारी बैरिकेडिंग लगा दी गई है.
राजपुरा और शंभू बॉर्डर के बीच यातायात रोक दिया गया है और पुलिस ने अंबाला और दिल्ली जाने वाले यात्रियों के लिए पाट्रान और घनौर से वाहनों का रूट बदल दिया है. इस बीच, मोहाली और चंडीगढ़ से आने वाले यात्रियों को अंबाला-जीरकपुर मार्ग अपनाने को कहा गया है.
पटियाला के एसएसपी वरुण शर्मा ने शुक्रवार को सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की और यह सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए कि कोई अप्रिय घटना न घटे. अधिकारी ने कहा, "पटियाला पुलिस पूरे जिले में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है."

पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों ने 14 नवंबर को QIM और किसान संगठनों की ओर से बुलाए गए 'दिल्ली चलो' मार्च से पहले ही ट्रैफिक जारी कर दी. पंजाब पुलिस की एडवाइजरी के अनुसार, राजपुरा-अंबाला-दिल्ली हाईवे पर शंभू बॉर्डर शुक्रवार सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक बंद रहेगा और यात्रियों को वैकल्पिक मार्ग अपनाने के लिए कहा गया है.
बंद के बावजूद, QIM और किसान मजदूर मोर्चा के सदस्यों को ले जा रही वैन, कार, ट्रैक्टर-ट्रॉली और बसों के काफिले शुक्रवार सुबह शंभू की ओर बढ़ने लगे. दो दिन के मार्च का आह्वान कई मुद्दों, खासकर सिख राजनीतिक कैदियों के मुद्दे को उठाने के लिए किया गया है.
जैसे ही पहला ट्रॉली शंभू पहुंचा, पुलिस ने उसे रोक दिया और ड्राइवर को सर्विस रोड पर गाड़ी खड़ी करने का निर्देश दिया. एक प्रदर्शनकारी ने 'दि ट्रिब्यून' से कहा, "हम शंभू जा रहे हैं क्योंकि हमें दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास पहुंचना है. हम अपनी राष्ट्रीय राजधानी जा रहे हैं. देखते हैं वे क्या करते हैं."
इससे पहले मार्च में, पुलिस ने शंभू और खनौरी मोर्चों से प्रदर्शनकारियों को हटा दिया था, जिससे साल भर से लगा जाम खुल गया था जो यात्रियों के लिए भारी परेशानी का सबह बन गया था. पिछला आंदोलन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी की मांग कर रहा था.
किसान मजदूर मोर्चा के प्रदेश नेता कंवरदलीप सैदोलेहाल और जिला फिरोजपुर नेता सुरजीत सिंह ने कहा कि 'मोदी सरकार की तानाशाही जारी है, जिसके तहत आज देश की राजधानी दिल्ली में शांतिपूर्वक जाकर अपने हकों के लिए आवाज उठाने के आह्वान को अमल में आने से रोका गया है'. जब उनसे पूछा गया कि किसान आंदोलन की तरह बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश क्यों नहीं की गई, तो जवाब में उन्होंने कहा कि यह आह्वान राष्ट्रीय न्याय मोर्चा की ओर से किया गया है, इसलिए मोर्चा चलाने वाले नेता जो भी घोषणा करेंगे, उसे लागू करने में वे योगदान देंगे.
उन्होंने कहा कि भारी बैरिकेडिंग एक बार फिर 13 फरवरी 2025 के दिल्ली आंदोलन 2 के दृश्यों की याद दिला रही है. उन्होंने बताया कि इस अवसर पर भारत सरकार की ओर से संयुक्त सचिव प्रशांत लोखंडे शंभू बॉर्डर पर पहुंचे और राष्ट्रीय न्याय मोर्चा और संगठनों के संयुक्त प्रतिनिधिमंडल, जिसमें केएमएम से बीकेयू क्रांतिकारी के अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल शामिल थे, के साथ बैठक की और एक ज्ञापन लिया. नेताओं ने कहा कि आने वाले दिनों में राष्ट्रीय न्याय मोर्चा द्वारा दिए गए निमंत्रण का पूरा समर्थन किया जाएगा.
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