जालंधर में किसानों का विरोध प्रदर्शनपंजाब के जालंधर में किसानों ने शुगर मिल शुरू न होने और अन्य मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. यह विरोध प्रदर्शन मंगलवार को माझा और दोआबा के किसानों ने सभी जिलों के डीसी दफ्तरों के बाहर किया. किसानों ने प्रदर्शन में अपनी नाराजगी जाहिर की और सरकार को अल्टीमेटम दिया. किसानों ने बताया कि पंजाब सरकार की ओर से शुगरकेन बोर्ड का गठन नहीं किया गया है, जबकि इसका कार्यकाल अप्रैल माह में समाप्त हो चुका है. बोर्ड के गठन के बिना शुगर मिल नहीं चलाई जा सकती.
किसानों ने कहा, नवंबर महीने की 18 तारीख हो चुकी है, लेकिन न तो बोर्ड का गठन हुआ है और न ही सरकार ने इस संबंध में कोई बैठक की है. किसानों ने आरोप लगाया कि गन्ने का न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) भी अब तक घोषित नहीं किया गया है. किसानों ने कहा कि अन्य फसलों जैसे अनाज और मक्की के दाम बुवाई से पहले तय हो जाते हैं, लेकिन गन्ने के दाम तय नहीं किए जा रहे, जबकि फसल पक कर तैयार है.
किसानों ने हरियाणा का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां गन्ने का भाव 401 रुपये प्रति क्विंटल तय हो चुका है, जबकि पंजाब सरकार ने अभी तक कोई दर निर्धारित नहीं की है. किसानों की मांग है कि सरकार गन्ने का भाव 500 रुपये प्रति क्विंटल तय करे और मिलों को जल्द से जल्द चालू करे.
किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि 21 नवंबर तक मिलें चलाने की घोषणा नहीं की गई, तो सभी किसान संगठन 21 को माझा और दोआबा के किसान संगठनों के साथ मिलकर जालंधर के नेशनल हाईवे और ट्रेनों को जाम करेंगे.
किसान संगठन के नेताओं ने कहा कि चीनी मिलों पर 400 करोड़ रुपये का किसानों का बकाया है, लेकिन उस पर कोई बात नहीं कर रहा है. पिछले चार महीने से सरकार से इस मुद्दे को सुलझाने की मांग की जा रही है, मगर इस पर सरकार का ध्यान नहीं है. नेताओं ने साफ किया कि विरोध प्रदर्शन के दौरान किसी तरह की परेशानी आम लोगों को नहीं होने दी जाएगी.
एक किसान नेता ने कहा कि 21 तारीख तक सरकार अगर गन्ने के दाम की मांग नहीं मानती है तो जालंधर के हाईवे और ट्रेनों का रास्ता रोका जाएगा. इस पूरे घटनाक्रम के लिए पंजाब सरकार ही जिम्मेदार होगी.
अपनी मांगों को लेकर भारी संख्या में किसानों ने डीसी दफ्तरों के बाहर धरना दिया. किसानों ने हाथों में झंडे लिए नारेबाजी की और पंजाब सरकार से गन्ने का दाम बढ़ाने की मांग की. किसानों ने कहा कि कई महीने से सरकार से मांग की जा रही है, मांग पत्र दिया जा रहा है, मंत्रियों के साथ बैठक चल रही है, लेकिन अभी तक रेट बढ़ाने का कोई फैसला नहीं हुआ है. इससे किसानों में घोर नाराजगी है.(दविंदर कुमार का इनपुट)
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