पंजाब की सरकार ने पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए क्रॉप रेजिड्यू मैनेजमेंट यानी सीआरएम मशीन के प्रयोग की तरकीब निकाली थी. लेकिन अब एक नई खबर पर अगर यकीन करें तो इन मशीनों के कम उपयोग ने सरकार और अधिकारियों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. कहा जा रहा है कि मशीनों के प्रयोग के पीछे एक बड़ा घोटाला चल रहा है और अब सरकार इसके इस्तेमाल को अपने तरीके से ट्रैक करेगी. पंजाब की सरकार ने जून के महीने में सीआरएम के प्रयोग को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया था. किसानों को इसके प्रयोग पर सब्सिडी तक देने का फैसला किया गया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब के कृषि विभाग ने ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) ट्रैकर्स की मदद से सीआरएम मशीन के की गतिविधियों पर नजर रखने का फैसला किया है. साथ ही, मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों की तरफ से जारी किए गए बिलों के फिजिकल वैरीफिकेशप के साथ इन्हें मैच किया जा रहा है. पिछले हफ्ते सात कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया गया है. पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर (पीआरएससी), लुधियाना ने साल 2022 में सीआरएम मशीनों के अपर्याप्त प्रयोग का पता लगाया था. सेंटर को पता लगा था कि सहकारी समितियों के पास मौजूद उपकरणों का उपयोग धान की कटाई के 49 दिनों के दौरान दो घंटे से लेकर 29 घंटे के बीच किया गया था.
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कृषि निदेशक जसवंत सिंह ने बताया कि मैन्युफैक्चरर्स को अब हर मशीन पर जीपीएस ट्रैकर जोड़ने का निर्देश दिया गया है. इनमें कस्टम-हायरिंग सेंटर या व्यक्तिगत किसानों को दिए जाने वाले इक्विपमेंट्स भी शामिल हैं. मशीनों के प्रयोग आई-खेत पोर्टल के जरिये ट्रैक किया जाएगा. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार किसानों को सब्सिडी पर 22,000 से ज्यादा सीआरएम मशीनें मुहैया कराएगी. अगर जरूरत पड़ी तो विभाग पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के टेक्निशियंस को भी शामिल करेगा.
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पंजाब सरकार की सीआरएम स्कीत के तहत, हर किसान सीआरएम मशीनों की लागत पर 50 फीसदी सब्सिडी का फायदा उठा सकता है. जबकि सहकारी समितियों, एफपीओ और पंचायतों के लिए 80 फीसदी सब्सिडी है. धान के हर मौसम के बाद खेतों में आग लगने की घटनाएं लगातार जारी रहती हैं. इसलिए कृषि विशेषज्ञों के एक वर्ग ने पिछले साल कहा था कि राज्य सीआरएम मशीनों के 'जंकयार्ड' में बदल रहा है.
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कृषि विभाग ने सात निर्माण फर्मों को ब्लैक लिस्ट करने का भी फैसला किया है. इन फर्मों का फिजिकल वैरीफिकेशन मैच नहीं हो रहा है. साथ ही दस्तावेजों में भी कई कमियां हैं. पिछले साल से 5,034 सीआरएम मशीनों का फिजिकल वैरीफिकेशन पेंडिंग है. इसकी वजह से करीब 58 करोड़ रुपये की सब्सिडी लाभार्थी किसानों को वितरित नहीं की गई है. एक और अधिकारी ने बताया कि पिछले महीने एक और फिजिकल वैरीफिकेशन किया गया था और बदल रिवाइज्ड डेटा इकट्ठा होने के बाद मामले पर फिर से फैसला किया जाएगा.
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