महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ मिलकर राज्य के बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए ₹32,000 करोड़ के व्यापक राहत पैकेज की घोषणा की है. उन्होनें कहा कि दिवाली से पहले पूरी सहायता राशि वितरित कर दी जाएगी. महायुति सरकार इसे राज्य के इतिहास का सबसे बड़ा पैकेज बता रही है. वहीं विपक्षी दलों ने इस राहत पैकेज को "खोखला" और "बहुत कम" बताया, जिससे किसानों को अपना जीवन फिर से शुरू करने में मदद नहीं मिलेगी. विपक्षी दलों ने किसानों के लिए अधिक मजबूत मदद के साथ-साथ एक ठोस पुनर्वास योजना की भी मांग की.
रिलीफ पैकेज के इतने बड़े आंकड़े के बावजूद, इस घोषणा पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. शिवसेना (यूबीटी) विधायक कैलास पाटिल (धाराशिव ज़िला) ने सरकार पर सिर्फ आंकड़ों से खेलने का आरोप लगाया और दावा किया कि नुकसान के हिसाब से यह सहायता पैकेज नाकाफी है. कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने तीखी आलोचना करते हुए कहा कि किसानों की आत्महत्या की उच्च दर (इस वर्ष अकेले मराठवाड़ा में 781) को देखते हुए यह सहायता एक "मज़ाक" है.
वडेट्टीवार ने एनडीआरएफ के अपर्याप्त मानदंडों का पालन करने के लिए पैकेज की आलोचना की और सवाल किया कि एक समृद्ध राज्य महाराष्ट्र, पंजाब जैसे अन्य राज्यों द्वारा प्रदान की गई पर्याप्त सहायता की बराबरी क्यों नहीं कर सकता. वहीं किसान सभा के सचिव अजीत नवले ने भी इस पैकेज को खारिज करते हुए तर्क दिया कि वास्तविक नई सहायता केवल ₹6,500 करोड़ है, बाकी ₹31,628 करोड़ केवल मौजूदा योजनाओं का संकलन है. उन्होंने ये निष्कर्ष निकाला कि सरकार ने पीड़ितों को कुछ भी ठोस नहीं दिया है.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार के राहत पैकेज में 29 जिले शामिल हैं, जहां लगभग 68 लाख हेक्टेयर की फसलें बर्बाद हुई हैं. प्रमुख प्रावधानों में तत्काल फसल क्षतिपूर्ति के लिए ₹6,175 करोड़ और प्रति हेक्टेयर ₹47,000 की नकद राशि शामिल है. पुनर्निर्माण सहायता नरेगा योजना के माध्यम से ₹3 लाख प्रति हेक्टेयर की दर से प्रदान की जाएगी. इसके अलावा, सरकार ने फसल बीमा के लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया है और प्रत्येक मृत पशु के लिए मुआवजे की गारंटी दी है. साथ ही प्रतिबंधात्मक एनडीआरएफ मानदंड को रद्द कर दिया है.
हालांकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सरकार समय आने पर कृषि ऋण माफी की भी घोषणा करेगी. उन्होंने कहा कि किसानों को हुए नुकसान पर एक व्यापक ज्ञापन केंद्र को सौंपने के लिए तैयार किया जा रहा है. फिलहाल प्राथमिकता किसानों को फिर से अपने पैरों पर खड़ा करने में मदद करना है. (रिपोर्ट- ऋत्विक अरुण भालेकर)
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