किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंढेर ने बुधवार को फिर से पंजाब सरकार पर किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल को खनौरी बॉर्डर से जबरन ले जाने के लिए निशाना साधा. पंढेर ने यह भी कहा कि किसान नेता सुखजीत सिंह हरदोझंडे दल्लेवाल की जगह आमरण अनशन पर बैठे हैं. पंढेर ने कहा, सुखजीत का आमरण अनशन दूसरे दिन में प्रवेश कर गया है.
किसानों की मांगों को लेकर मंगलवार से आमरण अनशन शुरू करने वाले दल्लेवाल को कथित तौर पर खनौरी बॉर्डर से जबरन हटा दिया गया और मंगलवार को जांच के लिए लुधियाना के एक अस्पताल ले जाया गया. पंढेर ने भगवंत मान सरकार पर निशाना साधते हुए बुधवार को कहा कि राज्य सरकार दल्लेवाल को हटाकर उनके आंदोलन को "नाकाम" करने के अपने प्रयास में विफल रही.
उन्होंने आगे कहा कि उन्हें दल्लेवाल की हालत के बारे में जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा, "उसकी हालत क्या है? कोई भी इसे स्पष्ट नहीं कर रहा है." पंढेर ने कहा कि राज्य सरकार ने खनौरी बॉर्डर से दल्लेवाल को जबरन हटाने के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं दी है.
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उन्होंने कहा, "पंजाब के मुख्यमंत्री को राज्य के लोगों को कल की घटना (दल्लेवाल को उठाना) के बारे में बताना चाहिए और यह क्यों किया गया." पंढेर ने लोगों से बड़ी संख्या में खनौरी बॉर्डर पर पहुंचने को कहा. किसान नेता ने यह भी कहा कि वे देखेंगे कि क्या सांसद मौजूदा संसद सत्र में फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी देने, कृषि लोन माफी के मुद्दे उठाते हैं.
दल्लेवाल (70) को मंगलवार को लुधियाना के दयानंद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (डीएमसीएच) में मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया था. उन्हें खनौरी बॉर्डर पर धरना करने वाली जगह से कथित तौर पर जबरन हटा दिया गया था. पुलिस उप महानिरीक्षक मनदीप सिंह सिद्धू ने मंगलवार को कहा कि प्रशासन दल्लेवाल के आमरण अनशन के मद्देनजर उनकी उम्र और स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है.
किसान केंद्र से मांग कर रहे हैं कि उनके मुद्दों को सुलझाने के लिए 10 दिनों के भीतर उनसे बातचीत की जाए. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 18 फरवरी से उनके मुद्दों पर उनसे कोई बातचीत नहीं की है. उन्होंने दोहराया कि प्रदर्शनकारी किसान 6 दिसंबर को दिल्ली की ओर कूच करेंगे.
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने पहले ही आमरण अनशन शुरू करके एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी सहित किसानों की अलग-अलग मांगों के समर्थन में अपने आंदोलन को तेज करने की योजना की घोषणा की थी. सुरक्षा बलों ने किसानों को दिल्ली मार्च से रो दिया था जिसके बाद किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं.
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प्रदर्शनकारी किसानों ने केंद्र पर उनकी मांगों को पूरा करने के लिए कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया है और कहा है कि 18 फरवरी के बाद से केंद्र ने उनके मुद्दों पर उनसे कोई बातचीत नहीं की है.(PTI)
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