केरल में जंगली सूअरों से हो रहे नुकसान को लेकर राजनीति गर्मा गई है. राज्य के कृषि मंत्री पी. प्रसाद ने एक विवादित बयान देते हुए कहा कि अगर लोगों को जंगली सूअर का मांस खाने की अनुमति मिल जाए तो खेतों में तबाही मचाने वाले इन जानवरों की समस्या जल्द खत्म हो जाएगी. इस बयान के बाद वन एवं वन्यजीव संरक्षण मंत्री ए.के. ससीन्द्रन ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह इस मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्ट मंगवाएंगे और आवश्यक कदम उठाएंगे. उन्होंने कहा, “कृषि मंत्री पी. प्रसाद का बयान सरकारी अधिकारियों की लापरवाही से जुड़ा है. अगर यह मामला वन विभाग से संबंधित है तो हम इसकी पूरी रिपोर्ट हासिल करेंगे और जरूरी कार्रवाई करेंगे.”
दरअसल, मंत्री पी. प्रसाद ने यह टिप्पणी अलपुझा जिले के पालामेल ग्राम पंचायत में एक स्थानीय परियोजना के उद्घाटन के दौरान की थी. यह परियोजना किसानों की फसलों को जंगली जानवरों के हमलों से बचाने के लिए शुरू की गई है. प्रसाद ने कहा, “जंगली सूअरों का आतंक इतना बढ़ गया है कि कई इलाकों में ये लोगों पर भी हमला कर रहे हैं. मेरा व्यक्तिगत मत है कि अगर लोगों को मारे गए सूअरों का मांस खाने की अनुमति दी जाए, तो यह समस्या बहुत जल्दी खत्म हो सकती है, लेकिन केंद्र के कानूनों की वजह से ऐसा करना संभव नहीं है. जंगली सूअर संकटग्रस्त प्रजाति नहीं हैं.”
कार्यक्रम के दौरान मंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों को लापरवाही के लिए फटकार लगाई. उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि एक व्यक्ति की जंगली सूअर के हमले में मौत के पांच साल बाद भी उसके परिवार को मुआवजा नहीं मिला है. इस बीच, राज्य विधानसभा ने हाल ही में 8 अक्टूबर को वन्यजीव संरक्षण (केरल संशोधन) अधिनियम, 2025 पारित किया है.
इस कानून का उद्देश्य मानव और वन्यजीवों के बीच बढ़ते टकरावों को कम करना है. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने 9 अक्टूबर को सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि इस विधेयक का पारित होना “वन किनारे रहने वाले समुदायों को न्याय दिलाने और मानव-वन्यजीव संघर्षों को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम” है.
उन्होंने कहा कि केरल देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने केंद्रीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में संशोधन करने वाला विधेयक पारित किया है. मुख्यमंत्री ने बताया कि यह संशोधन और वन (संशोधन) विधेयक मिलकर राज्य में मानव-वन्यजीव संघर्षों से निपटने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल साबित होंगे. (एएनआई)
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