जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. 10 साल बाद राज्य में हो रहे चुनावों की वजह से राजनीतिक सरगर्मियां काफी बढ़ गई हैं. कुछ नेता पार्टी छोड़कर जा रहे हैं तो कुछ दूसरी पार्टियों को ज्वॉइन कर रहे हैं. साल 2018 तक घाटी की सत्ता पर काबिज रहने वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के एक और नेता ने पार्टी को अलविदा कह दिया है. पीडीपी के मुख्य प्रवक्ता सुहैल बुखारी ने विधानसभा चुनावों से पहले मंगलवार को पार्टी छोड़ दी. इससे पहले पार्टी के अहम नेता चौधरी जुल्फकार अली ने भी रविवार को ही पार्टी को बाय-बाय कहा है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार सुहैल बुखारी ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव से पहले मंगलवार को पार्टी छोड़ दी. बुखारी ने सिर्फ पार्टी छोड़ने के बारे में बताया लेकिन उन्होंने उन वजहों का खुलासा नहीं किया जिसके तहत वह इस फैसले को उठाने पर मजबूर हुए. हालांकि बताया जा रहा है कि बुखारी चुनाव लड़ने का आदेश न मिलने से नाराज थे. बुखारी को वगूरा-क्रीरी से चुनाव लड़ने की उम्मीद थी. लेकिन पिछले महीने पूर्व मंत्री बशारत बुखारी के पीडीपी में वापस आने से उनके टिकट मिलने की संभावना कम हो गई. बुखारी जो जर्नलिस्ट से नेता बने हैं, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के करीबी सहयोगी थे और जब वे मुख्यमंत्री थीं, तब उन्होंने उनके सलाहकार के तौर पर भी काम किया था.
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48 घंटे पहले ही जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री और पीडीपी नेता चौधरी जुल्फकार अली जम्मू में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए. पार्टी में शामिल होने के बाद अली ने कहा कि बीजेपी की नीतियां और योजनाएं कतार में खड़े आखिरी व्यक्ति तक पहुंची हैं. उन्होंने कहा, 'इन चीजों ने मुझे बीजेपी में शामिल होने के लिए मजबूर किया. हर व्यक्ति को 'हेल्थ कार्ड' मिला, जिसे मेरे क्षेत्र के लोग 'मोदी कार्ड' कहते हैं.' अली 2003 से 2020 तक पीडीपी से जुड़े रहे. उन्होंने 2015 से 2018 तक कैबिनेट मंत्री के रूप में भी काम किया. उन्होंने पीडीपी से इस्तीफा दे दिया और जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक बन गए. उन्होंने अपनी पार्टी के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया.
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पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया था. इसके साथ ही चुनाव आयोग को 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया गया था. 5 अगस्त, 2019 को केंद्र मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करके जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था. इसके बाद जम्मू-कश्मीर राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया. केंद्र शासित प्रदेश में तीन चरणों में चुनाव होंगे और 18 सितंबर को पहले चरण से इसका आगाज हो जाएगा. 25 सितंबर को दूसरा चरण और आखिरी चरण एक अक्टूबर को होगा. वोटों की गिनती 4 अक्टूबर को कराई जाएगी. जम्मू कश्मीर में साल 2014 में आखिरी बार विधानसभा चुनाव हुए थे.
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