इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोले, 2029 के लिए नहीं बल्कि मैं 2047 के लिए लगा हुआ हूं. पीएम मोदी ने कहा आज भारत में सबसे बड़े लोकतांत्रिक पर्व की शुरुआत हुई है. आज जहां पूरी दुनिया अनिश्चितता के भंवर में फंसी है, उसमें एक भाव निश्चित है कि भारत तेज गति से विकास करता रहेगा. आज मूड ऑफ द नेशन भारत को दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था की बात कर रहा है, वह भारत को विकसित इकॉनमी की बात कर रहा है. पीएम मोदी ने अपनी सरकार की तरफ से लिए गए फैसलों और उनसे जनता को होने वाले फायदों के बारे में बताया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, मैं हेडलाइन नहीं बल्कि डेडलाइन पर काम करने वाला व्यक्ति हूं. इसलिए मैं आज वो बातें भी बताऊंगा जिनको मीडिया कम आकर्षक मानता है. ये वो बाते हैं जिन्हें मीडिया छूना भी पसंद नहीं करता.' उन्होंने कहा कि इसमें से ही एक है स्टार्टअप का मसला. आज से 10 साल पहले तक कुछ गिने-चुने स्टार्टअप्स ही भारत में थे. लेकिन आज करीब सवा लाख स्टार्टअप्स रजिस्टर्ड हैं. भारत की स्टार्टअप्स क्रांति की पहचान है कि ये स्टार्टअप्स देश के 600 जिलों में हैं यानी 90 फीसदी हिस्से को कवर कर रहे हैं.
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उन्होंने बताया कि टीयर 2 और 3 के शहर स्टार्टअप्स की शुरुआत कर रहे हैं. छोटे शहरों के युवाओं की सफलता ने भारत की स्टार्टअप्स क्रांति को नई पहचान दी है. जिस दल ने कभी स्टार्टअप्स की चर्चा नहीं की, वह भी इसकी बात कर रहा है. हमारे देश में बैंकों से मदद पाने के लिए युवाओं को जगह-जगह गारंटी देनी पड़ती थी. लेकिन मुद्रा योजना ने उन युवाओं को भी लोन की गारंटी दी जिनके पास कुछ नहीं था. बिना गारंटी 26 लाख करोड़ का बैंक लोन छोटे-छोटे उद्यमियों को मिला है. इनमें से करीब आठ करोड़ मुद्रा लाभार्थी ऐसे हैं जिन्होंने जिंदगी में पहली बार अपना बिजनेस शुरू किया है.
पीएम स्वनिधि वह योजना है जिससे स्ट्रीट वेंडर्स को सस्ता लोन मिला है और वह भी बिना गारंटी. मैंने गरीबों की अमीरी भी देखी है और अमीरों की गरीबी भी देखी है. इसलिए मैंने स्ट्रीट वेंडर्स को बिना गारंटी लोन देने की हिम्मत दिखाई. दो दिन पहले एक सम्मेलन में देश के कोने-कोने से रेहड़ी पटरी वाले लोग आए थे. लेकिन मीडिया ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया. जरा कोविड का वह दौर याद कीजिए जब इनके बिना जीवन मुश्किल हो गया था. जिन रेहड़ी पटरी वालों को अनपढ़ कहकर नजरअंदाज किया, आज वो भारत की डिजिटल क्रांति की पहचान बन गए हैं.
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नमो ड्रोन दीदी वह योजना है जो गांव की महिलाओं को सशक्त बनाती है. पीएम मोदी ने कहा कि जिन महिलाओं को लोग ट्रैक्टर चलाते देखकर हैरान होते थे, आज वही महिलाएं ड्रोन उड़ा रही हैं. आज बेटियां ड्रोन पायलट हैं. गांव की जिन महिलाओं ने कभी साइकिल तक नहीं चलाई होगी, वो अब ड्रोन पायलट बन रही हैं. इसका मल्टीप्लायर इफेक्ट सोसायटी में कितना होगा, इसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते.
भारत के हेल्थ सेक्टर में जो बदलाव आ रहा है, उसकी चर्चा भी नहीं होती है. पांच लाख रुपये वाली आयुष्मान योजना के अलावा गांवों में आयुष्मान आरोग्य मंदिर भी चल रही है. गांव के लोगों को कोई परेशानी न हो इसके लिए आयुष्मान आरोग्य मंदिर बनवाए. ये काम लगातार चल रहा है. लेकिन यह काम कभी हेडलाइन नहीं बनता है. इन आरोग्य मंदिरों में सामान्य टेस्टों के अलावा डायबिटीज से लेकर कैंसर तक की जांच होती है. इन मंदिरों को हमने डिजिटली जोड़ा है. देश के गांवों में हो रही इस क्रांति की चर्चा भी बहुत जरूरी है.
मछली का उत्पादन दोगुना हो गया है, निर्यात भी बढ़ा है. पहली बार पशुपालकों और किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ मिला. अनाज के भंडारण के लिए सबसे बड़ी योजना चलाई. मुद्रा लाभार्थी ऐसे हैं, जिन्होंने जिंदगी में पहली बार अपना कोई बिजनेस शुरू किया है. पीएम मोदी ने बताया कि आजादी के बाद पहली बार देश में लाखों नौजवानों के स्किल डेवलपमेंट का एक बड़ा अभियान चला. उन्होंने बताया कि सरकार ने कॉपरेटिव मिनिस्ट्री अलग बनाई। इसके बनने के बाद 60 हजार पैक्स के कंप्यूटरीकरण का काम पूरा हुआ. इसी मंत्रालय ने दुनिया की सबसे बड़ी स्टोरेज स्कीम शुरू की.
पीएम मोदी ने कहा, 'मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि पहले की सरकारों के समय आपने Ease of Living जैसे शब्द नहीं सुने होंगे. पहले की सरकारों की सोच ही ऐसी नहीं थी, तो वो देश के नागरिकों की Ease of Living पर कैसे ध्यान देती?पहले की सरकारों के समय जो पावरफुल थे, वो सुविधाओं के पहले हकदार बन गए थे. साम, दाम, दंड, भेद, सिफारिश और रिश्वत कुछ भी करके वो सुविधाएं हासिल करते थे और बीच में पिसता था देश का सामान्य नागरिक.'
पीएम मोदी ने बताया कि एक स्टडी के अनुसार, स्वच्छ भारत अभियान हर साल गरीबों के 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा बचा रहा है. इसी तरह आयुष्मान भारत योजना की वजह से गरीबों के एक लाख करोड़ रुपए खर्च होने से बचे हैं. हमारी सरकार जनऔषधि केंद्रों पर 80 प्रतिशत डिस्काउंट पर दवाइयां देती है. इस वजह से गरीबों के 30 हजार करोड़ रुपए खर्च होने से बचे हैं.
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