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किसान आंदोलन से हर दिन 4 हजार करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका, सरकार ने रास्ता नहीं खोजा तो इकनॉमी को भारी चोट लगेगी

किसान आंदोलन से हर दिन 4 हजार करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका, सरकार ने रास्ता नहीं खोजा तो इकनॉमी को भारी चोट लगेगी

कई संगठनों से जुड़े किसान फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून की मांग को लेकर दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं. इसके चलते दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और यूपी की सीमाओं को सुरक्षा बलों ने सील कर दिया है. धारा 144 लागू की गई है. इसके चलते कई तरह की गतिविधियों पर रोक लग गई है. बाजार को 4 हजार करोड़ रुपये प्रतिदिन नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है.

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आंदोलन से अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान की आशंका. आंदोलन से अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान की आशंका.

कई संगठनों से जुड़े किसान फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून की मांग को लेकर दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं. 20 हजार से अधिक किसानों के संभावित जुटान को देखते हुए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और यूपी की सीमाओं को सुरक्षा बलों ने सील कर दिया है. दिल्ली समेत हरियाणा और पंजाब के कई जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है. इसके चलते कई तरह की गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है. किसान आंदोलन को देखते हुए बाजार को 4 हजार करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया है. हरियाणा व्यापार मंडल ने कहा कि आंदोलन से देश व प्रदेश में करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है. ऐसे में सरकार को किसानों से बातचीत करके हल ढूंढना होगा, नहीं तो अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पहुंचने का डर है.  

पिछले आंदोलन में 3500 करोड़ रुपये का नुकसान हर दिन हुआ

एमएसपी और कर्जमाफी समेत कई मांगों को लेकर किसान केंद्र सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए हैं. पिछली बार केंद्र सरकार के 3 कृषि कानूनों के खिलाफ 25 नवंबर 2020 को पंजाब समेत कई राज्यों के किसानों ने आंदोलन शुरू किया था, जो करीब 378 दिन चला था और 11 दिसंबर 2021 आंदोलन खत्म हुआ था. उस समय भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंडल (एसोचैम) ने आंकड़े जारी करते हुए बताया था कि किसान आंदोलन के चलते पंजाब और हरियाणा सरकारों को प्रति दिन करीब 3,500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. जबकि, अकेले उत्तर मध्य रेलवे को 2,200 करोड़ रुपये की कमाई का नुकसान हुआ था. जबकि, अन्य विभागों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा था. 

इस बार 4 हजार करोड़ रुपये प्रतिदिन नुकसान की आशंका 

अब फिर से किसान 13 फरवरी को केंद्र के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर आंदोलन के लिए दिल्ली जुट रहे हैं. किसानों को रोकने के लिए विभिन्न मार्गों पर कंक्रीट की बेरीकेडिंग समेत अवरोधक लगाए गए हैं. इसके चलते 11 फरवरी की शाम को जीटी करनाल रोड पर कई घंटों का लंबा जाम लग गया था. इसका असर ट्रांसपोर्ट पर भी देखा गया है. ऐसे में अनुमान जताया जा रहा है कि किसान आंदोलन से कई करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. एग्रीकल्चर और पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट डॉक्टर समीर कपूर ने कहा कि पिछले किसान आंदोलन में 3500 करोड़ रुपये का नुकसान प्रतिदिन हुआ था. ऐसे में इस बार के आंदोलन में प्रतिदिन 4000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है. जल्द ही ट्रेड बॉडी नुकसान के आंकड़े जारी करेंगे. 

16 फरवरी को भारत बंद पर 25 हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान 

16 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा ने भारत बंद बुलाया है. ऐसे में 25 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. उद्योग संगठन कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (CII) के दिसंबर 2020 के एक अनुमान के मुताबिक एक दिन के भारत बंद से अर्थव्यवस्था पर 25 से 30 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होता है. फिर भारत बंद चाहे कोई राजनीतिक दल बुलाए या किसान संगठन. 

हर दिन करोड़ों रुपये का नुकसान - हरियाणा व्यापार मंडल 

हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष व अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय मुख्य महासचिव बजरंग गर्ग ने व्यापारी व किसानों से बातचीत करने के बाद कहा कि सरकार को किसानों की समस्याओं का हल करना चाहिए. सरकार ने पिछले आंदोलन के समय जो सारी मांगे मानी थी उसे पूरा करना चाहिए. बार-बार देश व प्रदेश में आंदोलन होने से करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है जिसके लिए सरकार जिम्मेवार है. बजरंग गर्ग ने कहा कि आज देश व प्रदेश में करोड़ों-अरबों रुपए का व्यापार व उद्योगों में नुकसान हो रहा है. एक राज्य से दूसरे राज्य के माल का आना जाना 2 दिन से पूरी तरह से बंद है. सरकार ने दिल्ली पंजाब, हरियाणा, यूपी को पूरी तरह से सील किया हुआ है. जगह-जगह खाई खोद कर सीमेंट की दीवारें बनाकर आवागमन बंद किया है और इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगाई हुई है. इसके चलते व्यापारी व उद्योगपतियों को बड़ा भारी नुकसान हो रहा है. 

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