केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रालय का पदभार संभालते ही सुपर एक्शन मोड में हैं. उन्होंने 100 दिन का प्लान पहले ही बना लिया है और अब उस दिशा में काम शुरू हो गया है. अधिकारियों की मानें तो बतौर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दलहन और तिलहन को प्राथमिकता में रखा है. अधिकारियों का कहना है कि चौहान की अगुआई वाले कृषि मंत्रालय का लक्ष्य 2027-28 तक दालों में आत्मनिर्भरता हासिल करना है. साथ ही खाद्य तेल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना शुरू करना है. उनका कहना है कि ये दो ऐसी चीजें हैं जिनका भारत अभी भी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए आयात करता है.
अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स ने एक अधिकारी के हवाले से लिखा है कि चौहान ने कृषि राज्य मंत्रियों रामनाथ ठाकुर और भागीरथ चौधरी के साथ बुधवार को प्रमुख अधिकारियों की एक बैठक की, जिसमें अगले 100 दिनों के प्रस्तावों की समीक्षा की गई . साथ ही कृषि अर्थव्यवस्था पर कई प्रस्तावों का अध्ययन भी किया गया. अधिकारियों ने शिवराज सिंह चौहान को चल रही योजनाओं की स्थिति, आगामी खरीफ या गर्मियों में बोई जाने वाली फसल की तैयारियों, उर्वरकों और बीजों की उपलब्धता के बारे में जानकारी दी. अधिकारियों ने उन्हें बताया कि दालों और तिलहनों के उत्पादन को बढ़ावा देने की योजनाएं भी तैयार हैं.
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चार बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके चौहान ने अधिकारियों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने 'संकल्प पत्र' में कृषि क्षेत्र से संबंधित सभी गारंटियों को पूरा करने के लिए समय पर एक रोडमैप तैयार करने को कहा. पिछले साल खराब मॉनसून के बाद भारत में इस साल औसत से ज्यादा गर्मी के दिन दर्ज किए जा रहे हैं. खराब मॉनसून की वजह से साल 2023-24 में कृषि विकास 1.7 प्रतिशत तक गिर गया दिया जो साल 2018-19 के बाद सबसे कम है. हालांकि अच्छी बारिश से आगामी खरीफ या गर्मियों में बोई जाने वाली फसल का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है. कीमतों पर लगाम लगाने के लिए पर्याप्त खाद्य भंडार महत्वपूर्ण है.
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भारत जो एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, उसके लिए कृषि सेक्टर बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि लगभग आधी आबादी कृषि आय पर ही निर्भर है. अच्छी फसल व्यापक अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की मांग को बढ़ाती है. विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि चौहान ने कृषि क्षेत्र को बदलने के लिए मध्य प्रदेश के सीएम के तौर पर जो रणनीतियां अपनाई थीं, उन्हें वह बतौर कृषि मंत्री भी जारी रखेंगे. उनके नेतृत्व में राज्य में मध्य प्रदेश में औसत कृषि विकास 7 प्रतिशत रहा था जो राष्ट्रीय औसत 3.7 प्रतिशत से ज्यादा है. चौहान को सिंचाई का विस्तार करके और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बोनस देकर मध्य प्रदेश को एक प्रमुख गेहूं उत्पादक बनाने का श्रेय भी दिया जाता है.
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एक और अधिकारी की मानें तो चौहान की निगरानी में कृषि मंत्रालय का मुख्य लक्ष्य दालों का उत्पादन बढ़ाना, रकबा और पैदावार दोनों बढ़ाना होगा, ताकि अगले तीन से चार वर्षों में देश आत्मनिर्भर बन जाए. दालों का उत्पादन बढ़ाने की योजना उन्हीं रणनीतियों पर निर्भर करेगी जो तिलहन के लिए अपनाई गई हैं. एक और अधिकारी ने बताया कि सरकार जुलाई में नियमित बजट में राष्ट्रीय तिलहन मिशन की भी घोषणा कर सकती है. यह मिशन सरसों, मूंगफली और सोयाबीन के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने पर केंद्रित होगा.
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भारत सालाना अपनी दालों की मांग का 15 फीसदी तक आयात करता है और देश ने 2023-24 में आयात पर लगभग चार बिलियन डॉलर खर्च किए. साल 2014 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार ने सत्ता संभालने के तुरंत बाद, आयात पर निर्भरता से बचने के लिए दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि और व्यापार नीतियों पर ध्यान केंद्रित किया था. वैश्विक कमोडिटी कीमतों में वृद्धि से बचने के लिए मोजाम्बिक जैसे देशों के साथ लंबे समय तक चलने वाले सौदे किए गए.
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