जैसे-जैसे दालों की कीमतों में इजाफा हो रहा है और चने के उत्पादन में कमी सरकार के लिए एक बड़ी चिंता की वजह है. ऐसे में सरकार अब ऑस्ट्रेलिया से चना आयात करने का मन बना रही है. बताया जा रहा है कि जल्द ही ऑस्ट्रेलिया से चना आयात किया जाएगा. ऑस्ट्रेलिया से पिछले छह महीने से चने के विकल्प के तौर पर पीले मटर का आयात किया जा रहा है. चना का आयात इस पीले मटर के अतिरिक्त होगा. सरकार की योजना ऑस्ट्रेलिया से 11 लाख टन चना आयात करने की है. जबकि पहले से ही भारत, ऑस्ट्रेलिया से 16 लाख टन पीली मटर आयात कर चुकी है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार पिछले छह महीनों में चने के विकल्प के तौर पर मटर का प्रयोग किया गया है क्योंकि सरकार ने आयात शुल्क हटा दिया है. सूत्रों की मानें तो सरकार की तरफ से ऑस्ट्रेलिया को इस योजना के बारे में बता दिया गया है. सरकार ने यह जानकारी दे दी है कि अगले कुछ महीनों में उसकी योजना और चना आयात करने की है. इस आयात का मकसद इसे बाजार में सबके लिए मुहैया करना और कीमतों पर नियंत्रण रखना है. देश में दालों के उत्पादन में चने की 50 फीसदी हिस्सेदारी है और इसे बड़े पैमाने पर देश में खाया जाता है. बाजार में इसकी कमी से दूसरी दालों की कीमतों पर असर पड़ सकता है.
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कंज्यूमर अफेयर मिनिस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार चने का खुदरा मूल्य पिछले साल 74.7 रुपये प्रति किलो था तो वहीं इस साल 13 जून को यी 85.8 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया है. तूअर या अरहर दाल की कीमातें में भी इजाफा हुआ है और यह पिछले एक साल में 27 फीसदी तक महंगी हुई है. जहां पिछले साल यह 126.4 रुपये प्रति किलो की कीमत पर थी तो इस साल 13 जून यानी बुधवार को इसकी कीमत 160.3 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई थी. इसी तरह से उड़द दाल भी महंगी हुई है. इसकी कीमतों में पिछले एक साल में 13.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. मसूर दाल की कीमतों में भी हल्का इजाफा हुआ है.
ट्रेड सूत्रों के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा है कि सरकार की मंशा ऑस्ट्रेलिया से और ज्यादा चना आयात करने की है और इससे वहां के उत्पादकों में एक बड़ा संकेत गया है. इस वजह से इस साल इसकी ज्यादा बुआई होगी. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार साल 2023-2024 में दाल का उत्पादन 116 लाख टन रहने का अनुमान है जो कि पिछले साल के 123 लाख टन के उत्पादन से कम है. वहीं व्यापारियों का मानना है कि असल उत्पादन इससे भी कम रह सकता है.
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