26 नवंबर 2024 को एसकेएम और जेपीसीटीयू/स्वतंत्र/क्षेत्रीय फेडरेशन/एसोसिएशन के बैनर तले जिलों में होने वाले विरोध प्रदर्शनों में खेतिहर मजदूर और बटाईदार किसान हिस्सा लेंगे. ये किसान और मजदूर पदयात्रा, साइकिल जत्था, मोटरसाइकिल जत्था और घर-घर जाकर पर्चे और नोटिस बांटने जैसे अभियानों में भी शामिल होंगे. बीते दिन एचकेएस सुरजीत भवन, नई दिल्ली में खेत मजदूर संगठनों और काश्तकार (पट्टेदार/बंटाईदार) संघों के मंच और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की पहली संयुक्त परामर्श बैठक में यह फैसला लिया गया. बैठक की अध्यक्षता वी.एस. निर्मल (बीकेएमयू) और डॉ. दर्शन पाल (एसकेएम) ने की, जिसमें कुल 18 प्रतिभागियों ने अपनी बात रखी.
संगठनों ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, स्वतंत्र/क्षेत्रीय महासंघ के संयुक्त मंच के साथ खेत मजदूरों और बटाईदार किसानों के तीन स्वतंत्र मंच स्वतंत्र रूप से काम करेंगे. वहीं, कृषि के कार्पोरेटीकरण और मेहनतकश लोगों की आजीविका पर हो रहे हमले का विरोध करने के लिए आम सहमति वाले मुद्दों और ठोस मांगों के आधार पर एक्शन लेंगे.
किसान-खेत मजदूरों के संगठनों ने कहा कि वे कृषि संकट, किसानों की गरीबी, बड़े पैमाने पर गांवों से शहरों की ओर पलायन की पृष्ठभूमि में खेत मजदूरों और बटाईदार किसानों के लिए केंद्रीय कानून, सामाजिक भेदभाव और हिंसा का अंत, कृषि उत्पादन, खरीद, भंडारण, एग्री प्रोसेसिंग और वैल्यू एडिशन, ब्रांडेड विपणन, लोन, बीमा के लिए सामूहिक और सहकारी समितियों के विकास पर आधारित वैकल्पिक विकास नीति के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र से संस्थागत समर्थन जैसे मुद्दों पर एक व्यापक मांगपत्र बनाएंगे.
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मजदूर-किसान एकता के लिए तीनों मंच अखिल भारतीय स्तर के साथ-साथ राज्य, जिला से लेकर गांव स्तर तक नियमित को-ऑर्डिनेशन करेंगे. संगठनों ने कहा कि उनका लक्ष्य एनडीए-3 सरकार की कॉरपोरेटपरस्त और सांप्रदायिक नीतियों के खिलाफ एकजुट संघर्ष तेज करना है, ताकि सभी वास्तविक मांगें पूरी हो सके और मेहनतकश लोगों के विकास के लिए वैकल्पिक नीति को लाया जा सके, जो मेहनतकशों के लिए न्यूनतम मजदूरी, फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य, सभी के लिए रोजगार और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करे.
संगठनों ने जिक्र किया कि एसकेएम और जेपीसीटीयू की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित मजदूरों और किसानों के पहले अखिल भारतीय सम्मेलन में 23 अगस्त 2023 को स्वीकृत किए गए संयुक्त मांग पत्र में न्यूनतम मजदूरी, सभी के लिए रोजगार, 200 दिन काम और मनरेगा के तहत 600 रुपये दैनिक मजदूरी, सार्वजनिक वितरण प्रणाली की सुरक्षा और मूल्य वृद्धि पर नियंत्रण आदि मांगें शामिल थीं.
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