Chhattisgarh Result 2023: चुनावी जंग में जीत के बाद भगवा खेमे में अब चेहरे के सवाल पर नूराकुश्ती

Chhattisgarh Result 2023: चुनावी जंग में जीत के बाद भगवा खेमे में अब चेहरे के सवाल पर नूराकुश्ती

छत्तीसगढ़ में भाजपा ने विधानसभा चुनाव में उम्मीद से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन कर सत्ता की कुंजी कांग्रेस से एक बार फिर छीन ली है. चुनावी जंग में जीत के बाद अब भाजपा खेमे में सीएम पद के चेहरे को लेकर जोर आजमाइश का दौर शुरू हो चुका है. पार्टी नेतृत्व के सामने कुछ महीने बाद ही 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए सीएम पद के चेहरे का चयन करने की चुनौती है. 

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Chhattisgarh Result 2023: चुनावी जंग में जीत के बाद भगवा खेमे में अब चेहरे के सवाल पर नूराकुश्तीProbable CM face in Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव के लिए रविवार को हुई मतगणना में भाजपा ने 54 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल करने में कामयाबी हासिल की है. वहीं सत्तारूढ़ कांग्रेस महज 35 सीटों पर सिमट गई. इसके अलावा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को 1 सीट मिली. इस जनादेश से भाजपा को सरकार बनाने में किसी तरह की परेशानी नहीं होगी. हालांकि 2018 के चुनाव में भी राज्य की जनता ने स्पष्ट जनादेश देते हुए कांग्रेस को तीन चौथाई सीटें जिता कर प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने का मौका दिया था. उसी प्रकार इस चुनाव में भी जनता ने भाजपा के लिए सरकार बनाने में किसी तरह की परेशानी से मुक्त रखा है. ऐसे में अब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को सीएम पद के लिए उपयुक्त चेहरे का चयन करने की कवायद को पूरा करना शेष है.

उम्मीद से बेहतर रिजल्ट

विधानसभा चुनाव वाले सभी 5 राज्यों में 30 नवंबर को मतदान संपन्न होने के बाद एक्जिट पोल में कांग्रेस के लिए सबसे बेहतर स्थिति छत्तीसगढ़ में ही बताई गई थी. इन सर्वे में 2018 के चुनाव में महज 15 सीट पर सिमट कर रह गई भाजपा की सीटों में इजाफा होने का अनुमान व्यक्त करते हुए 35 सीटें तक मिलने की बात कही गई थी.

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सीएम की रेस में ये हैं चेहरे

छत्तीसगढ़ सहित सभी 5 राज्यों में भाजपा ने सीएम के पद पर किसी का चेहरा सामने नहीं किया था. भाजपा ने पीएम मोदी के चेहरे को सामने रखकर सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की रणनीति को अपनाया. यह रणनीति कामयाब होने के बाद अब भाजपा नेतृत्व के समक्ष पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह सहित कुछ प्रमुख नाम विचारणीय हैं. ऐसे में भाजपा की भावी सरकार का चेहरा कौन होगा, इस पर सियासी चर्चाओं का दौर भी शुरू हो गया है.

इस मामले में डा सिंह का दावा पहले पायदान पर है. वह 15 साल तक छत्तीसगढ़ के सीएम रहे. उनके नेतृत्व में भाजपा को तीन बार पूर्ण बहुमत मिला. उनके सफल कार्यकाल को छत्तीसगढ़ में विकास का नया रोडमैप बनाने की उपलब्धि के लिए जाना जाता है. साथ ही किसानों से धान की खरीद का व्यवस्थित तंत्र बनाकर लागू करने का श्रेय भी उनके खाते में है. मौजूदा पार्टी नेतृत्व की कसौटी पर अगर शांत स्वभाव के डाॅ सिंह को परखा जाए ताे उनके लिए आक्रामक कार्यशैली न होना और उम्र की अधिकता ही दो नकारात्मक पहलू हो सकते हैं.

जानकारों की राय में पार्टी नेतृत्व कुछ महीने बाद ही आसन्न लोकसभा चुनाव को देखते हुए प्रदेश में नए नेतृत्व को उभारने के पहलू को भी ध्यान में रखकर फैसला करेगा. ऐसे में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव, पूर्व आईएएस अधिकारी ओपी चौधरी, जनजातीय मामलों की केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह और दुर्ग से सांसद विजय बघेल भी सीएम पद के दावेदारों में शामिल हैं.

किसका दावा मजबूत

सीएम पद की रेस में शामिल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव ने इस चुनाव में लोरमी सीट से 45 हजार से ज्यादा वोट से जीत दर्ज की है. वह बिलासपुर से सांसद भी ह‍ैं और राज्य के बहुसंख्यक साहू समाज का चेहरा होने के कारण पिछड़े वर्ग के राजनीतिक समीकरण को भी संतुष्ट करते हैं. हालांकि इस रेस में तेजतर्रार आईएएस अफसर रहे ओपी चौधरी का दावा भी कमजोर नहीं है. वह पार्टी नेतृत्व के करीबी हैं.

रायपुर और दंतेवाड़ा के कलेक्टर रहे चौधरी ने 13 साल आईएएस की नौकरी करने के बाद राजनीति का रुख किया और 2018 में रायगढ़ जिले की खरसिया सीट से चुनाव लड़े, मगर हार गए. इस बार भाजपा ने उन्हें रायगढ़ सीट से उम्मीदवार बनाया और वह 60 हजार से अधिक वोट से जीते. चुनाव प्रचार के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने जनता से अपील की थी कि चौधरी को जिता दें, वह उन्हें बड़ा आदमी बना देंगे. सियासी गलियारों में शाह के इस बयान के दूरगामी मतलब निकाले गए.

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पूर्व कृषि‍ मंत्री काे है अपने अनुभव का भरोसा

इस रेस में पूर्व कृष‍ि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल भी शामिल हैं. वह रायपुर दक्षिण सीट से 64 हजार से ज्यादा मतों से रिकॉर्ड जीत हासिल कर लगातार 8वीं बार विधायक बने हैं. अग्रवाल को लंबे राजनीतिक अनुभव के आधार पर पार्टी नेतृत्व से सीएम पद की रेस में उनके अनुभव को तरजीह देने की उम्मीद है.

इसके अलावा कोरिया से सांसद और केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह तथा पाटन सीट से सीएम बघेल को कड़ी चुनौती देने वाले सांसद विजय बघेल भी सीएम पद की रेस में शामिल हैं. एक तरफ रेणुका सिंह ने भरतपुर सोनहत सीट से जीत दर्ज की है, वहीं विजय बघेल ने अपने चाचा भूपेश बघेल को शुरूआती दौर की मतगणना में कई बार पछाड़ कर सीएम को ज्यादा मतों के अंतर से नहीं जीतने दिया. अब देखना होगा कि भाजपा नेतृत्व इन चेहरों में से ही किसी को चुनता है या बिल्कुल नया चेहरा पेश करने की अपनी फितरत को दोहराता है.

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