चंडीगढ़ में 7000 किसानों का जमावड़ा, अपनी मांगों को लेकर सरकार पर डालेंगे दबाव

चंडीगढ़ में 7000 किसानों का जमावड़ा, अपनी मांगों को लेकर सरकार पर डालेंगे दबाव

बीकेयू और पंजाब खेत मजदूर यूनियन से जुड़े किसानों के एक बड़े समूह ने चंडीगढ़ विधानसभा के पास निर्धारित स्थल ‘मटका चौक’ पर मार्च किया, जहां उन्होंने अपना विरोध जताया और मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां को अपनी मांगों की सूची सौंपी.

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चंडीगढ़ में 7000 किसानों का जमावड़ा, अपनी मांगों को लेकर सरकार पर डालेंगे दबावसड़कों पर उतरे किसान

चंडीगढ़ में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाने के करीब 15 साल बाद, पंजाब से करीब 7,000 किसान अपनी मांगों को लेकर शहर के बीचों-बीच पहुंचे हैं. यह विरोध प्रदर्शन पंजाब विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र के साथ हो रहा है. डिप्टी कमिश्नर की अनुमति मिलने के बाद भारतीय किसान यूनियन (BKU) समेत कई यूनियनों के किसान दक्षिण मार्ग पर सेक्टर 34 के मैदान में डेरा डाले हुए हैं. इससे लोगों को काफी असुविधा हुई है और यातायात भी बाधित हुआ है. इस फैसले पर सवाल भी उठ रहे हैं क्योंकि 2023 में किसानों और अन्य समूहों द्वारा इसी तरह के विरोध प्रदर्शन को अधिकारियों ने अनुमति नहीं दी थी. यहां तक कि मोहाली-चंडीगढ़ सीमा पर सड़क को फिर से खोलने के लिए अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ा.

सरकार को सौंपी सूची

अभी पंजाब भर से लगभग 7000 किसान अपनी मांगों को लेकर चंडीगढ़ पहुंचे हैं. इन किसानों ने सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की है. इसी कड़ी में बीकेयू और पंजाब खेत मजदूर यूनियन से जुड़े किसानों के एक बड़े समूह ने विधानसभा के पास निर्धारित स्थल ‘मटका चौक’ पर मार्च किया, जहां उन्होंने अपना विरोध जताया और मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां को अपनी मांगों की सूची सौंपी. जबकि 32 संगठनों का एक मिलाजुला संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) से जुड़े किसान सेक्टर 34 में ‘महापंचायत’ करने और मुख्यमंत्री कार्यालय में एक वरिष्ठ अधिकारी को ज्ञापन सौंपने के बाद शहर से चले गए.

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नई किसान नीति की मांग

इस मामले में संयुक्त किसान यूनियन यानी कि SKM नवंबर में अपने भविष्य की कार्रवाई पर फैसला करेगा, जबकि बीकेयू (एकता-उग्राहां) 5 सितंबर तक डटा रहेगा. सबसे प्रमुख किसान संघ बीकेयू कृषि संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए ‘नई किसान नीति’ की मांग कर रहा है. यह चाहता है कि पिछले आंदोलनों के दौरान किसान नेताओं के खिलाफ दर्ज मामलों को हटाया जाए. साथ ही आम आदमी पार्टी सरकार के दौरान पराली जलाने के मामले में दर्ज एफआईआर को वापस लिया जाए. इसने किसान हितैषी नीति के लिए अमीर जमींदारों, साहूकारों और कॉरपोरेट घरानों पर विशेष टैक्स लगाने की भी मांग की है. एसकेएम ने गिरते भूजल स्तर को रोकने के लिए नीति बनाने की मांग की है.

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प्रशासन ने किसानों को दी जगह

सूत्रों ने कहा कि यूनियनें शुरू में सेक्टर 17 में विरोध प्रदर्शन करना चाहती थीं, लेकिन अधिकारियों ने सेक्टर 25 सहित वैकल्पिक स्थलों का प्रस्ताव दिया, लेकिन यूनियनें अड़ी रहीं. प्रशासन ने आखिरकार उन्हें सेक्टर 34 की साइट धरना प्रदर्शन के लिए दे दी.

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