
मटर देश की शीतकालीन सब्जियों में एक है. दलहनी सब्जियों में मटर का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है. मटर की खेती से जहां एक ओर कम समय में अधिक पैदावार मिलती है तो वहीं ये खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में भी मददगार होती है. मटर का उपयोग सब्जी के साथ–साथ दलहन के रूप में भी किया जाता है.

मटर की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा है, क्योंकि इसकी खेती से किसानों को अच्छी कमाई होती है. ऐसे में अगर आप भी इस रबी सीजन मटर की खेती या अपने होम गार्डन में इसे उगाना चाहते हैं और ऐसी ही किसी उन्नत किस्म की तलाश कर रहे हैं तो आप मटर की बेस्ट वैरायटी पीबी-89 का बीज नीचे दी गई जानकारी की सहायता से ऑनलाइन अपने घर पर मंगवा सकते हैं.

किसान पारंपरिक फसलों को छोड़कर दलहनी फसलों की खेती बड़े पैमाने पर करने लगे हैं. इससे किसानों की बंपर कमाई भी हो रही है. इसलिए किसान बड़े स्तर पर मटर की खेती कर रहे हैं. ऐसे में किसानों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम ऑनलाइन मटर की पीबी-89 किस्म का बीज बेच रहा है. इस बीज को आप एनएससी के ऑनलाइन स्टोर से ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर भी मंगवा सकते हैं.

पीबी-89- ये किस्म पंजाब में उगने वाली मटर की एक उन्नत किस्म है. इस किस्म की फलियां जोड़े में उगती हैं. यह किस्म बिजाई के 90 दिनों के बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. इसके बीज स्वाद में मीठे होते हैं और इसकी फलियां 55 प्रतिशत बीज देते हैं. इसकी औसतन उपज 60 क्विंटल प्रति एकड़ होती है. बता दें कि इस किस्म को घर पर गमले में भी आसानी से उगा सकते हैं.

अगर आप भी मटर की उन्नत किस्म की खेती करना चाहते हैं तो पीबी-89 किस्म के एक किलो के पैकेट का बीज फिलहाल 51 फीसदी छूट के साथ मात्र 220 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएगा. इसे खरीद कर आप आसानी से मटर की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.

किसान अगर मटर की खेती प्लानिंग से करें तो इससे बंपर मुनाफा कमा सकते हैं. वहीं, मटर की खेती किसी भी तरह की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है. हालांकि गहरी दोमट मिट्टी इसके लिए परफेक्ट मानी जाती है. मटर की बुवाई बीजों के माध्यम से की जाती है. इसके लिए ड्रिल विधि का इस्तेमाल सबसे उपयुक्त है. पंक्तियों में बीजों को 5 से 7 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाया जाता है.

गमले में मटर उगाने के लिए, 12-16 इंच के गमले में अच्छी मिट्टी भरें और 1-1.5 इंच की गहराई पर बीज बोएं. बीजों को 2-3 इंच की दूरी पर रखें और बोने के बाद हल्की सिंचाई करें. बीजों को अंकुरित होने तक हल्की छाया में रखें और अंकुरण के बाद गमले को रोज़ 6-8 घंटे की धूप वाली जगह पर रखें. वहीं, बढ़ते पौधों को सहारा देने के लिए जाली या लकड़ी का इस्तेमाल करें.
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