महाराष्ट्र के नांदेड़ में रहने वाले आशीष एडके आज ऐसे युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं लेकिन सफल नहीं हो पा रहे हैं. आशीष आज मुर्गीपालन करके लाखों रुपये कमा रहे हैं, लेकिन एक समय था जब वह दिन-रात सरकारी नौकरी की तैयारी में लगे हुए थे. जब कामयाबी नहीं मिली तब उन्होंने निराश होने की बजाय कुछ और काम में खुद को साबित करने की ठानी.
आशीष की पढ़ाई की बात करें तो वो डबल मास्टर्स हैं. उनका सपना था कि वह सरकारी नौकरियों का एग्जाम पास करके अच्छी सरकारी नौकरी करेंगे. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. उन्होंने पुणे में तीन साल तक सरकारी नौकरी की तैयारी की. लेकिन जब सफलता नहीं मिली तो वह अपने गांव लौट आए और यहीं पर मुर्गीपालन शुरू किया.
आशीष नांदेड़ शहर के विजयनगर इलाके में अपने परिवार के साथ रहते हैं. उन्होंने समाजशास्त्र और राजनीति विज्ञान में मास्टर्स डिग्री पास की है. इसके बाद उन्होंने प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से अधिकारी बनने का सपना संजोया. 2015 में वह पुणे चले गए और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी शुरू की. हालांकि, उन्हें सफलता नहीं मिली, इसलिए वह तीन साल बाद अपने गांव लौट आए.
आशीष को प्रोफेसर की नौकरी मिल रही थी. लेकिन, उन्होंने प्राइवेट नौकरी करने के बजाय अपना खुद का बिजनेस शुरू करने का फैसला किया. लेकिन फिर कोरोना वायरस ने की वजह से उन्हें डेढ़-दो साल तक घर पर ही रहना पड़ा. कोरोना काल में आशीष ने मोबाइल फोन पर विभिन्न व्यवसायों के बारे में जानकारी हासिल की. तब उन्हें एहसास हुआ कि कम समय में ज्यादा पैसा देने वाला व्यवसाय 'पोल्ट्री फार्मिंग है.
घर से मिले कुछ पैसे और मुर्गी पालन के लिए बैंक लोन से उन्होंने 2023 में नांदेड़ के पास के एक खेत में मुर्गी पालन के लिए एक शेड बनाया, फिर धीरे-धीरे उन्होंने एक एकड़ जमीन पर दस हजार फुट का पोल्ट्री शेड बनाया. बता दें कि इस शेड में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है. इसमें सर्दियों में मुर्गियों को गर्म रखने के लिए जरूरी सभी चीजें मौजूद हैं,
इस शेड में हीटर, लाइटें, स्वचालित भोजन और पानी डिस्पेंसर, गर्मियों के लिए ठंडक और बिजली के लिए इन्वर्टर शामिल हैं. इस पोल्ट्री फार्म में एक बार में 15,000 मुर्गियों के पालन की व्यवस्था है. इन मुर्गियों को बिक्री के लिए तैयार होने में लगभग 45 दिन लगते हैं. इसके बाद, जब मुर्गियां पूरी तरह से विकसित हो जाती है, तो मुर्गियां मार्केट कर दी जाती हैं.
आशीष पोल्ट्री फार्म से एक साल में 30 लाख रुपए कमाते हैं. उनका कहना है कि अगर युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता नहीं मिल रही है, तो कृषि से जुड़ें. युवाओं को पूरक व्यवसायों की ओर रुख करना चाहिए. आशीष ने युवाओं से अपील की कि नौकरी के पीछे भागने के बजाय उन्हें अपना व्यवसाय स्थापित करना चाहिए और रोजगार पैदा करने वाले हाथ बनना चाहिए.
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