इंसानों की तरह पशुओं में भी दस्त की समस्या काफी आम है, जो कई कारणों से हो सकती है. यह समस्या न केवल मवेशियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि इससे दूध उत्पादन पर भी बुरा असर पड़ता है. साथ ही, मवेशियों में दस्त आने पर पशुपालकों को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
ऐसे में, अगर मवेशियों को ज्यादा दस्त हो जाए तो आप कुछ घरेलू नुस्खों का सहारा ले सकते हैं. ठीक उसी तरह जैसे आम लोग दस्त होने पर घरेलू नुस्खे को अपनाते हैं. आइए जानते हैं उन प्रभावी घरेलू नुस्खों के बारे में, जो मवेशियों के दस्त को तुरंत ठीक करने में मदद कर सकते हैं.
अगर मवेशी को दस्त की समस्या हो रही हो, तो आप एक घरेलू नुस्खा आजमा सकते हैं. इसके लिए 50 ग्राम अजवाइन, 50 ग्राम काला नमक, 20 ग्राम सौंठ और 200 ग्राम गुड़ को अच्छे से मिलाकर लड्डू बना लें. फिर लड्डू मवेशी को दें. इस नुस्खे से मवेशी को दस्त से तुरंत आराम मिलता है.
दस्त के दौरान मवेशी के पेट को ठंडक और सुकून देने के लिए चावल और छाछ का मिश्रण एक बेहतरीन घरेलू उपचार है. इसके लिए आपको 100 ग्राम चावल, 200 ग्राम छाछ, 100 ग्राम खड़िया (चॉक) को अच्छे से उबाल लें और फिर इसे छाछ और खड़िया के साथ मिलाकर मवेशी को सुबह और शाम दो बार दें. यह मिश्रण पेट को ठंडक पहुंचाता है और दस्त को नियंत्रित करता है.
मवेशियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए उन्हें नियमित रूप से हल्दी और नीम की पत्तियों का सेवन कराना बहुत फायदेमंद है. हल्दी के एंटीबैक्टीरियल गुण पेट को साफ रखने में मदद करते हैं और इंफेक्शन को भी दूर करते हैं. वहीं, नीम की पत्तियों में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो मवेशियों की इम्यूनिटी को मजबूत बनाते हैं.
मवेशियों को दस्त के दौरान अधिक पानी की जरूरत होती है. दस्त के कारण शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जिससे मवेशी की सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ता है. इसलिए, मवेशी को पर्याप्त मात्रा में पानी देना बहुत महत्वपूर्ण है.
मवेशियों में दस्त की समस्या को घरेलू नुस्खों के जरिए सही किया जा सकता है, जिससे न केवल मवेशियों को आराम मिलेगा, बल्कि पशुपालकों को भी राहत मिलेगी. घरेलू उपचार के साथ-साथ यह ध्यान रखना जरूरी है कि मवेशी को साफ और स्वस्थ माहौल में रखा जाए, और उनकी सही देखभाल की जाए.
Note: अगर इन घरेलू नुस्खों से मवेशी की हालत में सुधार न आए, तो तुरंत वेटनरी डॉक्टर से संपर्क करें.
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