ढैंचा हरी खाद की फसल है, भूमि की उर्वरता बढ़ाने के लिए जैविक खाद के साथ-साथ हरी खाद का प्रयोग करना अति आवश्यक है. गेहूं की कटाई के बाद खाली हुए खेतों में हरी खाद के साथ ढैंचा की फसल उगाकर किसान भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ा सकते हैं.
किसानों को खरीफ सीजन शुरू होने से पहले ढैंचा की आवश्यक रूप से बुवाई करनी चाहिए. यूरिया के अधिक इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरता शक्ति बेकार हो जाती है. वहीं इसका उपयोग खेतों के लिए हरी खाद बनाने में किया जाता है
ढैंचा की खेती से भूमि में जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है, जिससे उत्पादन में अच्छी बढ़ोतरी होती है. वहीं अगर फसल चक्र में लगातार ढैंचा की फसल को शामिल किया जाए तो इससे भूमि की भौतिक और रासायनिक संरचना में सुधार होता है.
ढैंचा की खेती से भूमि में पानी सोखने की क्षमता बढ़ती है. वहीं माना जाता है कि हरी खाद से भूजल स्तर भी बेहतर होता है. किसानों को इसकी खेती अप्रैल से जून महीने तक करनी चाहिए.
ढैंचा की खेती करने के कई लाभ हैं. हरी खाद ढैंचा का प्रयोग यूरिया का एक अच्छा इको फ्रेंडली ऑप्शन है. ये वातावरण में नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में मददगार है. साथ ही इससे मिट्टी में जीवांशों की संख्या भी बढ़ती है.
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