इंसानों की तरह सब्जी की फसलों को भी लू लगती है. प्रचंड गर्मी में फसलें भी वैसे ही झुलस जाती हैं, जैसे इंसानों की हालत होती है. ऐसे में जिस तरह इंसान गर्मी और लू से खुद को बचाते हैं, उसी तरह फसलों को भी बचाना चाहिए.
अगर समय रहते फसलों को लू और गर्मी से नहीं बचा पाएंगे तो वे मारी जाएंगी. इससे सीधा-सीधा नुकसान लागत का होगा और कमाई शून्य हो जाएगी. तो आइए फसलों पर गर्मी के प्रभाव, लक्षण और बचाव के तरीकों के बारे में जान लेते हैं.
मुरझाई हुई या झुकी हुई पत्तियां: पानी की कमी और दबाव में कमी के कारण पौधे मुरझा सकते हैं या झुक सकते हैं. इसके अलावा पत्तियों पर भूरे या पीले धब्बे पड़ सकते हैं, या तेज गर्मी के कारण वे झुलस सकती हैं.
बढ़वार में कमी: अधिक तापमान पौधों की वृद्धि को धीमा कर सकता है, जिससे उपज और पैदावार कम हो सकती है. इसके अलावा गर्मी के तनाव के कारण फलों का आकार बिगड़ सकता है, रंगहीन हो सकते हैं या समय से पहले गिर सकते हैं.
35 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान कई बागवानी फसलों में गर्मी के तनाव का कारण बन सकता है, जिससे पौधों को नुकसान होने की अधिक संभावना होती है.इसके अलावा बिल्कुल सीधा सूर्य का प्रकाश, विशेष रूप से उच्च तापमान के साथ, पौधों की झुलसन का कारण बन सकता है.
पौधों को छाया और पानी दें: सीधे सूर्य के प्रकाश और गर्मी के तनाव को कम करने के लिए कपड़े या अन्य चीजों का उपयोग करते हुए छाया दें.इसके अलावा पर्याप्त पानी की सप्लाई बनाए रखें. साथ ही मिट्टी की नमी को बनाए रखने, मिट्टी के तापमान को कम करने और पानी की हानि को रोकने में मदद कर सकता है.
गर्मी सहने वाली किस्मों का चयन करें: ऐसी फसल किस्मों का चयन करें जो गर्मी सहन करने और गर्मी के तनाव को सहने के लिए तैयार की गई हों. वहीं, तापमान को कम करने और गर्मी के तनाव को कम करने के लिए कूलिंग सिस्टम, जैसे कि धुंध या फॉगिंग सिस्टम का उपयोग करें.
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