आजकल बच्चों से लेकर बड़ों तक, हर कोई गार्डनिंग करने पर जोर दे रहा है. घर में बागवानी करने के बहुत से फायदे हैं. हरियाली होने से आपके आसपास की हवा शुद्ध होती है जो फिजिकल हेल्थ के लिए अच्छा है. साथ ही, गार्डनिंग करना लोगों के लिए थेरेपी जैसा है जो मेंटल हेल्थ के लिए अच्छा है. इसलिए, आप चाहें थोड़े-बहुत ही पौधे लगाएं लेकिन आपको अपने आसपास पौधे लगाने चाहिए.
लेकिन बहुत बार लोग गार्डनिंग करते हैं पर उनके पौधे लंबे समय तक नहीं चल पाते हैं. ऐसे में आपको यह देखना चाहिए कि कहीं आप कोई गलती तो नहीं कर रहे हैं. आज हम आपको गार्डनिंग में अक्सर की जाने वाली सामान्य गलतियों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे आपको सावधान रहना चाहिए.
गार्डनिंग शुरू करते समय लोग जो सबसे आम गलतियां करते हैं, उनमें से एक है पौधों को ज़रूरत से ज़्यादा पानी देना. ज़रूरत से ज़्यादा पानी देने से जड़ें सड़ जाती हैं, फफूंद लग जाती है और पत्तियां मुरझा जाती हैं. इसलिए सुनिश्चित करें कि आप पौधों को तभी पानी दें जब ऊपरी मिट्टी छूने पर सूखी लगे.
पानी की ज़रूरतों की तरह, अलग-अलग पौधों की मिट्टी की ज़रूरत भी अलग-अलग होती है. यहां सबसे सुरक्षित यह है कि आप बगीचे की मिट्टी, नीम केक, कोकोपीट और वर्मीकम्पोस्ट का मिश्रण लें और किसी एक्सपर्ट या लंबे समय से सफल बागवानी कर रहे लोगों से सलाह लेकर पॉटिंग मिक्स तैयार करें.
जब लोग गार्डनिंग शुरू करते हैं, तो उनके मन में या तो सब कुछ या कुछ भी नहीं की मानसिकता होती है. इसलिए वे पौधों को खाद, अतिरिक्त पोषक तत्व और न जाने क्या-क्या देते हैं. और फिर ज्यादा खाद डालने से पोषक तत्वों का असंतुलन होता है जिस कारण जड़ें जल सकती हैं या ज्यादा पत्तियां हो जाती हैं.
पौधे कीटों और एफिड्स से संक्रमित हो सकते हैं और यह उन्हें बहुत नुकसान पहुंचा सकता है. चाहे पत्तियों को खाने की बात हो या जड़ों को संक्रमित करने की, कीट किसी भी पौधे को नुकसान पहुंचाएंगे. इसलिए, हर महीने या दो महीने में एक बार पौधों पर पानी और नीम के तेल का मिश्रण छिड़कें.
जड़ी-बूटियां या फूल लगाने से पहले मौसम की स्थिति पर भी ध्यान देना जरूरी है. मौसम के हिसाब से कौन से बीज बोने चाहिए, इसके बारे में जानें और विश्लेषण करें और फिर गार्डनिंग की शुरुआत करें. मौसम के हिसाब के पौधे लगाएंगे तो ये लंबे चलेंगे और आपको अच्छा लगेगा.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today