धान की फसल कुछ जगहों पर तैयार है, उसकी कटाई हो रही है, लेकिन कुछ जगहों पर यह अभी तैयार होने वाली है. ऐसे समय इस पर कीटों के अटैक और रोगों का बहुत खतरा रहता है. पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने इससे बचाव के लिए एडवाइजरी जारी की है. वैज्ञानिकों ने बताया कि इस मौसम में धान की फ़सल में जीवाणु पत्ती झुलसा रोग के आने की संभावना है. यदि धान की खड़ी फ़सल में पत्तियों का रंग पीला पड़ रहा हो तथा इन पर धब्बे बन रहे हों तो सावधान हो जाइए. क्योंकि इसकी वजह से आगे जाकर पूरी पत्ती पीली पड़ने लग जाएगी.
कृषि वैज्ञानिकों रोग की रोकथाम के लिए कांपर हाइड्रोक्साइड @1.25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 150 लीटर पानी में मिलाकर 10-12 दिन के अंतराल पर छिड़काव करने सलाह दे रहे हैं.
कृषि वैज्ञानिकों का कहना हैं कि इस मौसम में बासमती धान में आभासी कंड आने की काफी संभावना है.इस बीमारी के आने से धान के दाने आकार में फूल कर पीला पड़ जाते हैं. इसकी रोकथाम के लिए ब्लाइटोक्स 50 की 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से आवश्यकता अनुसार पानी में मिलाकर 10 दिन के अंतराल पर 2-3 बार छिड़काव करें. ऐसा न करने से आपका धान खराब हो सकता है.
वैज्ञानिक सलाह दे रहे हैं कि इस मौसम में धान की फसल को नष्ट करने वाली भूरे फुदकों का आक्रमण भी हो सकता है. इसलिए किसान खेत के अंदर जाकर पौधे के निचले भाग के स्थान पर मच्छरनुमा कीट का निरीक्षण करें.
मौसम शुष्क रहने के पूर्वानुमान को देखते हुए फसलों एवं सब्जी फसलों में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें. अगेती रबी फसलों की तैयारी के लिए खेत की जुताई करने के तुरंत बाद पाटा अवश्य लगाएं ताकि मिट्टी से नमी का नुकसान न हो. रबी की फसलों की बुवाई से पहले किसान अपने-अपने खेतों को अच्छी प्रकार से साफ-सुथरा करें. मेड़ों, नालों, खेत के रास्तों तथा खाली खेतों को साफ-सुथरा करें ताकि कीटों के अंडे और रोगों के कारक नष्ट हो सकें. खेत में सड़े गोबर की खाद का उपयोग करें क्योंकि यह मिट्टी के भौतिक तथा जैविक गुणों को सुधारती है.
पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि मौसम की अनुकूलता को ध्यान में रखते हुए किसान सरसों की बुवाई कर सकते हैं. इसकी उन्नत किस्में पूसा सरसों-25, पूसा सरसों-26, पूसा अगर्णी, पूसा तारक और पूसा महक हैं. बीज दर 1.5-2.0 किलोग्राम प्रति एकड़ रखने की जरूरत है. बुवाई से पहले खेत में नमी के स्तर को अवश्य जांच लें. ताकि अंकुरण प्रभावित न हो. बुवाई से पहले बीजों को थायरम या केप्टान @ 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज दर से उपचार करें. बुवाई कतारों में करना अधिक लाभकारी रहता है.
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