केरल के वायनाड में हुए भूस्खलन में मृतकों की संख्या 160 तक पहुंच गई है. इस दर्दनाक हादसे में 200 लोग घायल बताए जा रहे हैं. शवों और घायलों को निकालने के लिए बड़े स्तर पर राहत और बचाव का काम चल रहा है. इसमें सेना के साथ-साथ आपदा प्रबंधन की टीमें लगी हैं. इस घटना में जयेश नाम के एक जीवित बचे और प्रत्यक्षदर्शी बताया कि जब दोनों भूस्खलन हुए तब स्थिति क्या थी. उन्होंने कहा, दो दिनों से भारी बारिश हो रही थी. भूस्खलन होने से पहले शाम को भी तेज बारिश हो रही थी. सड़कों पर पानी था. लेकिन चूंकि यह तब होता है जब सामान्य बारिश होती है, इसलिए हमने इसे बहुत गंभीरता से नहीं लिया. हम सभी रात करीब 10 बजे सो गए थे. करीब 1.30 बजे पहला भूस्खलन हुआ.
घटना के प्रत्यक्षदर्शी जयेश ने कहा, उस समय बहुत तेज आवाज हुई थी. मैंने तुरंत दरवाजा खोला और टॉर्च की रोशनी जलाकर देखा कि क्या हो रहा है. मैंने देखा कि विपरीत दिशा में स्थित घरों के पास पानी और पेड़ बह रहे हैं. मेरे घर से सटे 3-4 घर हैं. हमने सभी को बुलाया और पानी आने से पहले उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले गए. इसी भूस्खलन में हाई स्कूल रोड के करीब 200 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए. सिर्फ 4-5 घर ही अब वहां बचे हैं. बस इतना ही मैं देख पाया. इनमें से ज्यादातर घरों में लोग रह रहे थे. मेरी पत्नी के परिवार में उसकी बहन, बहन के पति समेत परिवार के 11 सदस्य लापता हैं. दो के शव बरामद कर उनकी पहचान कर ली गई है.
ये भी पढ़ें: कपास-सोयाबीन के किसानों के लिए राहत की खबर, महाराष्ट्र सरकार ने जारी किया रिलीफ पैकेज
जयेश ने कहा, हम यहां इंतजार कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने कहा है कि नीलांबुर से बरामद कुछ शवों को पहचान के लिए यहां लाया जाएगा. हमारी स्थिति यह है जब पहला भूस्खलन हुआ था, अगर आपने उस समय घर देखे होते तो आपको लगता कि कोई भी नहीं बचा होगा. लेकिन वहां लोग जिंदा थे और हम उन्हें बचाने में कामयाब रहे. लेकिन जब हमने भूस्खलन की वह बड़ी आवाज सुनी तो हमें लगा कि पूरा पहाड़ ही हमारे ऊपर गिर जाएगा. हम उस समय मौत से लड़ रहे थे.
प्रत्यक्षदर्शी ने कहा, फिर हम सब जंगल के रास्ते चले गए. हमने सभी को वहीं बैठा दिया. करीब 5.30 बजे एक और भूस्खलन हुआ. तब हमें लगा कि यहां से निकल जाना ही बेहतर है. लेकिन पता नहीं था कि कहां जाना है? कहां रहना है? हम कितने दिन कहीं और रह सकते हैं? ये सभी विचार अब हमारे दिमाग में चल रहे हैं. वह, उसकी पत्नी और उसका बेटा और दो अन्य लोग अपने क्षेत्र में जीवित बचे हुए लोग हैं. उन्होंने एक 5 वर्षीय लड़की को भी बचाया. वह कहते हैं कि उसकी मां ने मदद के लिए उनका नाम पुकारा लेकिन वह उसकी मदद नहीं कर पाए क्योंकि कीचड़ गर्दन तक था.(शिबी की रिपोर्ट)
ये भी पढ़ें: इन तीन राज्यों में भारी बारिश के आसार, बिजली गिरने की भी आशंका
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today