कैंसर की बीमारी से हर दिन देश में बड़ी सख्या में लोग अपनी जान गवा देते है. भारत में कैंसर के इलाज के लिए अमूमन कीमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी का प्रयोग होता है. मगर इन दोनों ही तरीकों में मरीज के शरीर को काफी मुश्किलें झेलनी पड़ती है. साथ ही इनके कई साइड इफेक्ट्स भी होते हैं. अब टाटा इंस्टीट्यूट के डॉक्टर्स ने दावा किया है कि कैंसर को शरीर में दोबारा फैलने से रोका जा सकता है. साथ ही इलाज के लिए जो कीमोथेरेपी दी जाती है उसके साइड इफेक्ट्स को भी 50 फीसदी तक कम किया जा सकता है.
टाटा इंस्टीट्यूट के एडवांस सेंटर फॉर ट्रीटमेंट, रिसर्च एंड एजुकेशन इन कैंसर, ने एक रिचर्स के बाद जो बयान जारी किया है, वह कैंसर के इलाज में बड़ी उम्मीद जगाने वाला है. इस रिसर्च के तहत चूहों में इंसान के कैंसर सेल डाले गए थे. इसके बाद उनमें ट्यूमर बना. इस ट्यूमर को दूर करने के लिए कीमोथैरेपी, रेडिएशन और सर्जरी ट्रीटमेंट किया. लेकिन ट्रीटमेंट के बाद जब कैंसर वाले सेल खत्म हुए उनसे छोटे-छोटे क्रोमेटिन पार्टिकल निकले. टाटा हॉस्पिटल की रिसर्च टीम ने इस दवा पर रिसर्च के लिए चूहों को रेस्वेराट्रोल और कॉपर (आर+सीयू) के साथ प्रो-ऑक्सीडेंट गोलियां दी गई. R+Cu ऑक्सीजन रेडिकल उत्पन्न करता है, जो क्रोमैटिन कणों को नष्ट करता है.
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रिसर्च में पाया गया कि ये छोटे-छोटे क्रोमेटिन पार्टिकल नसों के माध्यम से बॉडी के दूसरे पार्ट में पहुंच जाते हैं और शरीर में मौजूद अच्छे सेल्स को भी कैंसर वाले सेल में कन्वर्ट कर देते हैं. इससे कैंसर दोबारा फैल जाता है. क्रोमेटिन पार्टिकल्स की वजह से नया ट्यूमर भी बन सकता है. इस बीमारी से बचने के लिए डॉक्टर्स चूहों को रेसवेरेट्रॉल और कॉपर वाली प्रो-एंटीऑक्सीडेंट टेबलेट दी. इससे वो क्रोमेटिन पार्टिकल्स नष्ट हो गए. दरअसल ये टेबलेट खून में मिलने के बाद ऑक्सीजन रेडिकल्स रिलीज करती है और क्रोमेटिन पार्टिकल्स को नष्ट कर देती है.
डॉक्टर्स का दावा है कि ये टेबलेट कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स को भी कम करती है. ये टेबलेट पैंक्रियाज, फेंफड़े और मुंह के कैंसर को रोकने में मददगार है. टाटा हॉस्पिटल के डॉक्टर्स करीब 10 साल से इस पर रिसर्च कर रहे हैं. उन्हें यह सफलता मिली है जिसमें रेसवेरेट्रॉल और कॉपर वाली प्रो एंटीऑक्सीडेंट टेबलेट कैंसर को दोबारा फैलने से 30 फीसदी तक रोक सकती है और कीमोथैरेपी या रेडिएशन के साइड इफेक्ट को भी 50 फीसदी तक कम कर सकती है.
टाटा इंस्टीट्यूट के डॉक्टर्स ने फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया को इस टैबलेट को कैंसर के इलाज में इस्तेमाल करने के लिए अप्रूवल के लिए भेजा है. हालांकि इसे अभी मंजूरी नहीं मिली है. अप्रूवल मिलने के बाद इसी साल से ये टेबलेट मिलने लगेगी और इसकी कीमत करीब 100 रुपये है.
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