तमिलनाडु के धर्मपुरी और कृष्णागिरी जिले में पिछले एक साल के अंदर औसत से काफी कम बारिश हुई है. इससे आम के उत्पादन पर असर पड़ा है. कहा जा रहा है कि इन दोनों जिलों में आम प्रोडक्शन में गिरावट आने की वजह से सलेम बाजार में आम की कीमत 40 फीसदी तक बढ़ गई है. कृष्णागिरी डिस्ट्रिक्ट मैंगो फार्मर्स एसोसिएशन के एस शिवगुरु ने कहा कि जिले में इस साल आम की खेती सिर्फ 10,000 हेक्टेयर में हुई, जबकि सामान्य तौर पर 35,000 हेक्टेयर में होती थी. इससे आम का उत्पादन कम हो गया है.
द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, पहले जहां रोज 100 टन आम का उत्पादन होता था, इस साल वह घटकर 10 से 15 टन रह गया है. कृष्णागिरि जिले में आम के किसान पिछले तीन वर्षों से कीट के हमले के कारण चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. पिछले साल अपर्याप्त बारिश और पानी की उपलब्धता में कमी के कारण उन्हें अतिरिक्त समस्याओं का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा कि जिनके खेतों में बोरवेल हैं वे इसका प्रबंधन करने में सक्षम हैं.
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अब तक, अल्फांसो और सिंदुरा जैसी आम की किस्में मुख्य आवक हैं और कीमतें दोगुनी हो गई हैं. उदाहरण के लिए, किसान पहले व्यापारियों को अल्फांसो 60 रुपये प्रति किलोग्राम और सिंदुरा 40 रुपये प्रति किलोग्राम बेचते थे. लेकिन इस साल इनकी कीमतों में 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. शिवगुरु ने कहा कि कृष्णागिरी जिले में लगभग पांच महीने से बारिश नहीं हुई है और अगर यही स्थिति जारी रही तो फसलें बर्बाद हो जाएंगी. सूखे के कारण आम उत्पादकों को प्रति एकड़ एक लाख से डेढ़ लाख रुपये का नुकसान हो रहा है.
वहीं, बीते दिनों खबर सामने आई थी कि इस साल आम की बंपर पैदावार होगी. आईसीएआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर के निदेशक टी. दामोदरन कहना था कि इस साल भारत का कुल आम उत्पादन में लगभग 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है. इससे आम की पैदावार बढ़कर 24 मिलियन टन हो जाएगी. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि उत्पादन बढ़ने से पिछले साल के मुकाबले इस बार रेट भी थोड़ा कम होगा.
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टी. दामोदरन ने कहा था कि भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अप्रैल-मई के दौरान भीषण गर्मी पड़ने की भविष्यवाणी की है. हालांकि, उससे आम की पैदावार पर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा. बशर्ते किसान मई में फलों के झड़ने से रोकने के लिए सिंचाई का ध्यान रखें.
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