राजस्थान के कोटा में गेहूं की खरीद किए जाने की मांग को लेकर भारतीय किसान संघ कनवास तहसील की तरफ से तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा गया है. मुख्यमंत्री के नाम से सौंपे गए इस ज्ञापन में किसान संघ की तरफ से यह मांग की गई है कि किसानों से 2700 रुपये क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद की जाए. ज्ञापन सौंपने से पहले किसानों ने प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की और एसडीएम कार्यालय पर धरना भी दिया. धरना प्रदर्शन के दौरान प्रांत प्रचार प्रमुख आशीष मेहता ने कहा कि किसानों ने देश के भंडारों को भरने का काम किया है, लेकिन अमृत काल में भी किसानों को अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि जब तक किसान की उन्नति नहीं होगी, भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प की सिद्धि नहीं होगी.
आशीष मेहता ने कहा कि सरकार ने घोषणा पत्र के माध्यम से किसानों से वादे किए थे. अब वो समय आ गया है कि सरकार किसानों से किए गए वादे को पूरा करने का काम करे. डबल इंजन की सरकार के नाम पर किसानों को बरगलाने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए. सरकार को अपने वादे पूरे करने चाहिए. वहीं भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष गिरिराज चौधरी ने कहा कि नई सरकार ने सत्ता में आने से पहले अपने चुनावी संकल्प पत्र में यह वादा किया था कि किसानों से 2700 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद की जाएगी. इसके साथ ही यह घोषणा पत्र में यह भी कहा गया था कि डीजल के दामों में कटौती की जाएगी.
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गिरिराज सिंह ने कहा कि सरकार ने अपने संकल्प पत्र में यह भी कहा था कि राज्य में दलहन और तिलहनी फसलों पर एमएसपी बढ़ाई जाएगी. किसानों से तीन गुणा तक एमएसपी पर खरीद बढ़ाने का वादा किया था. पर अपने किए वादे के विपरित सरकार 2400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद शुरू की है. इसके अलावा किसान सम्मान निधि योजना में केवल 2000 रुपये बढ़ोतरी की घोषणा की गई है. घोषित राशि को भी किसानों के खातों में नहीं भेजने से किसान अपने आप ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
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भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधिमंडल ने मांग करते हुए कहा कि 18 मार्च तक चना और सरसों की खरीद शुरू की जानी चाहिए. साथ ही मांग करते हुए कहा कि पंजीकृत किसानों की संपूर्ण उपज की खरीदी की जानी चाहिए. इसके अलावा अन्य मांगों का जिक्र करते हुए कहा कि ग्राम पंचायत स्तर पर गौशाला बनाया जाना चाहिए और नए बिजली कनेक्शन पर किसानों के खेत पर पोल से तारों को खींचकर टाइट किए जाने से संबंधित मांग भी रखी गई. प्रतिनिधिमण्डल ने कहा कि यदि सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया तो भारतीय किसान संघ आगे आंदोलन करने के लिए मजबूर होगा.
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