देश के कई इलाकों में मॉनसून काफी सक्रिय है, जिसके चलते हल्की और मध्यम बारिश के साथ मूसलाधार बारिश हो रही है. वहीं देश के कई इलाके ऐसे भी हैं जहां के लोग और किसान अगस्त महीने में अच्छी बारिश की उम्मीद कर रहे हैं. लेकिन अभी तक अच्छी बारिश नहीं हुई है. मौसम विभाग के अनुसार, खराब मॉनसून का सामना कर रहे मराठवाड़ा में अगस्त माह में 85 प्रतिशत से अधिक बारिश की कमी हो गई है, जिससे किसानों में फसल को लेकर डर का माहौल है. वहीं अगले कुछ दिनों में मॉनसून के फिर से सक्रिय होने की संभावना नहीं होने से किसानों को खरीफ फसलों के भविष्य की चिंता सताने लगी है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बीड जिले के हिंगनी हवेली गांव के किसान परवेज पटेल ने कहा कि मॉनसून की बेरुखी से किसान चिंतित हैं. उन्होंने कहा, "मैंने ख़रीफ़ सीज़न के दौरान अपने 10 हेक्टेयर खेत में कपास, सोयाबीन और बाजरा की फ़सलें उगाई हैं. जबकि इस साल मॉनसून की देर से शुरुआत के कारण बुआई में पहले ही देरी हो चुकी है, अब सूखे के मौसम ने धीरे-धीरे फ़सलों पर असर डाला है, अगर जल्द ही बारिश नहीं हुई तो फसलें धीरे-धीरे खराब हो जाएंगी”
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मालूम हो कि मराठवाड़ा के आठ जिलों में से, बीड और लातूर में अगस्त में अधिकतम 92 प्रतिशत कम बारिश हुई है, इसके बाद परभणी (91 प्रतिशत), हिंगोली (88 प्रतिशत), नांदेड़ (85 प्रतिशत), जालना (84 प्रतिशत), उस्मानाबाद (82 प्रतिशत) और औरंगाबाद (74 प्रतिशत) कम बारिश हुई है. वहीं पूरे क्षेत्र में 1 जून से 13 प्रतिशत बारिश की कमी दर्ज की गई है, जबकि अपेक्षित 389 मिमी बारिश के मुकाबले 338 मिमी बारिश हुई है.
परभणी स्थित वसंतराव नाइक मराठवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञानी केके दाखोरे ने कहा कि किसानों को मिट्टी में नमी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अपने खेतों से खरपतवार हटा दें.
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उन्होंने कहा, "जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं, वे ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग करके अपनी फसलों की सिंचाई कर सकते हैं. कीट नियंत्रण उपाय अपनाने की ज्यादा आवश्यकता है, क्योंकि वर्तमान शुष्क अवधि के दौरान फसलों पर विभिन्न कीटों के हमले की संभावना है."
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