कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे पीएम मोदी, कृषि की चुनौतियों पर होगी चर्चा

कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे पीएम मोदी, कृषि की चुनौतियों पर होगी चर्चा

अंतरराष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्री संघ की की तरफ से आयोजित किया जाने वाला यह कार्यक्रम 2 अगस्त से लेकर 7 अगस्त 2024 तक आयोजित किया जाएगा. इस बार यह कार्यक्रम खास इसलिए है क्योंकि 65 साल बाद भारत में इस तरह का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है.

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 कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे पीएम मोदी, कृषि की चुनौतियों पर होगी चर्चाPM Modi

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 3 अगस्त 2024 को सुबह करीब 9.30 बजे राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र (एनएएससी) परिसर, नई दिल्ली में कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीएई) का उद्घाटन करेंगे. इस अवसर पर प्रधानमंत्री कार्यक्रम को भी संबोधित करेंगे. अंतरराष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्री संघ की की तरफ से आयोजित किया जाने वाला यह कार्यक्रम 2 अगस्त से लेकर 7 अगस्त 2024 तक आयोजित किया जाएगा. इस बार यह कार्यक्रम खास इसलिए है क्योंकि 65 साल बाद भारत में इस तरह का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. यह कार्यक्रम ऐसे समय में आयोजित किया जा रहा है जब देश के किसान जलवायु परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं. 

इस वर्ष के सम्मेलन का विषय "स्थायी कृषि-खाद्य प्रणालियों की ओर परिवर्तन" है. इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन ने निपटने के उपायों पर चर्चा करना है. इसके साथ ही प्राकृतिक संसाधनों जैसे पानी और जमीन के बढ़ते इस्तेमाल, खेती में अधिक उत्पादन हासिल करने के लिए बढ़ती हुई लागत और उत्पादन बढ़ाने के लिए संघर्ष जैसी वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर तत्काल टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देना है. सम्मेलन में वैश्विक कृषि चुनौतियों के प्रति भारत के किस तरह सक्रिय भूमिका निभा सकता है इस पर भी विस्तार से चर्चा की जाएगी और कृषि अनुसंधान और नीति में देश की प्रगति को भी दिखाया जाएगा. 

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सम्मेलन में भाग लेंगे 75 देशों के प्रतिनिधि

ICAE 2024 विश्व में कृषि के क्षेत्र में शोधकर्ताओं और बेहतरीन पेशेवरों के लिए अपने काम को दुनिया के सामने रखने का एक अवसर देता है. साथ ही उनके लिए दुनिया भर के साथियो के साथ नेटवर्क बनाने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा. इसका उद्देश्य अनुसंधान संस्थानों और विश्वविद्यालयों के बीच साझेदारी को मजबूत करना है. ताकि दोनों मिलकर कार्य कर सके और इसमें तेजी ला सकें.  राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर नीति निर्माण को प्रभावित करना और डिजिटल कृषि और टिकाऊ कृषि-खाद्य प्रणालियों में प्रगति सहित भारत की कृषि प्रगति को प्रदर्शित करना है. सम्मेलन में लगभग 75 देशों के लगभग 1,000 प्रतिनिधि भाग लेंगे.

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जलवायु परिवर्तन का असर

बता दें कि भारत के किसान इस समय सबसे अधिक जलवायु परिवर्तन के कारण परेशानियों का सामना कर रहे हैं. मौसम में उतार चढ़ाव और अनियमित बारिश के कारण उनकी उपज प्रभावित हो रही है. कृषि के अलावा बागवानी पर भी मौसम में आ रहे बदलाव का असर हो रहा है. इसलिए अब इस पर चर्चा और शोध करना जरूरी हो गया है. इसके साथ ही अब टिकाऊ कृषि पर भी चर्चा हो रही है. क्योंकि ऐसे समय में जब खाद्य और पोषण सुरक्षा जरूरी हो गया है स्थायी और टिकाऊ कृषि को अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. 

 

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