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अरहर में उकठा रोग से हैं परेशान, तो इन 12 तरीकों से करें बचाव

अरहर में उकठा रोग से हैं परेशान, तो इन 12 तरीकों से करें बचाव

मिट्टी से होने वाले रोगों से फसलों को बचाने का सबसे बेहतर तरीका फसल चक्र को अपनाना है. इससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है. खेत को पूरी तरह से रोगाणुओं से मुक्त करने के लिए फसल चक्र को अपनाना चाहिए.

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Arkhar ki kheti Arkhar ki kheti

अरहर की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद होती है. पर कीट और रोग इसकी खेती के लिए दुश्मन माने जाते हैं क्योंकि अरहर की खेती में किसानों को सबसे अधिक नुकसान कीट और रोगों से ही होता है. उकठा रोग अरहर के लिए सबसे अधिक विनाशकारी रोग माना गया है. अरहर की खेती में यह रोग पूरे भारत में पाया जाता है. अरहर की खेती करने वाले प्रमुख राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार में किसानों को उकठा रोग के कारण काफी नुकसान होता है. एक ही खेत में लगातार अरहर की खेती करने के कारण यह रोग अधिक जोर पकड़ता है. इस रोग के प्रकोप के कारण खेत में लगभग 50 प्रतिशत पौधे सूखकर नष्ट हो जाते हैं. 

उकठा रोग के कारण उत्तर प्रदेश और बिहार में हर साल 5-10 प्रतिशत अरहर की फसल बर्बाद हो जाती है. हालांकि अरहर की खेती से किसानों को अच्छा फायदा होता है इसलिए किसानों को इसकी खेती करने के लिए अच्छे किस्म के बीज चयन करना चाहिए. साथ ही संतुलित मात्रा में उर्रवरकों का इस्तेमाल करना चाहिए. अरहर के खेती को उकठा रोग से बचाने के लिए समुचित प्रबंधन करके इससे होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है. अरहर में उकठा रोग का प्रकोप देर से पकने वाली प्रजातियों पर होता है. इस रोग में बीज के अंकुर और पौधे मुरझाकर सूख जाते हैं. जबकि खेत में नमी की पर्याप्त मात्रा रहती है.

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उकठा रोग नियंत्रण

अरहर में लगने वाला उकठा रोग एक मिट्टी से होने वाला रोग है. इसलिए बड़े पैमाने पर मिट्टी का इलाज करना तो संभव नहीं है पर इस रोग को नियंत्रित करने के लिए खेती के क्रियाकलापों को अगर बदल दिया जाए तो इससे बहुत हद तक नियंत्रित किया जा सकता है. इस रोग के प्रबंधन के लिए किसान इन उपायों को अपना सकते हैं. 

  • मिट्टी से होने वाले रोगों को फसलों को बचाने का सबसे बेहतर तरीका फसल चक्र को अपनाना है. इससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है. खेत को पूरी तरह से रोगाणुओं से मुक्त करने के लिए फसल चक्र को अपनाना चाहिए. 
  • तंबाकू की जड़ से निकलने वाला रस उकठा रोग के लिए हानिकारक होता है, इसलिए फसल चक्र में तंबाकू को शामिल करने से इस रोग में कमी हो जाती है.
  • खेत में अरहर के पुराने अवशेषों को नहीं छोड़ना चाहिए.
  • उकठा एक मिट्टी जनित रोग है. इससे बचाव के लिए गर्मियों के मौसम में खेत को दो से तीन बार गहरी जुताई करनी चाहिए. इससे मिट्टी के अंदर सुस्त अवस्था में पड़े रोग के कीटाणु नष्ट हो जाएंगे. 
  • अरहर के साथ मिलाकर ज्वार की बुवाई करसे से काफी हद तक रोग पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती है. 
  • उर्रवरकों का प्रयोग संतुलित मात्रा में करना चाहिए.
  • उकठा रोग से बचाने के लिए रोगरोधी किस्में जैसे एनपीडब्ल्यूएलआर-15, एनपी-38, एनपी-80, एनपी-40 जैसे किस्मों का प्रयोग करना चाहिए. 

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  • मिट्टी में मौजूद नमी रोगों को प्रबंधन के लिए विशेष रूप से लाभकारी होती है. इसलिए खेतों से पानी की निकासी उचित मात्रा में हो यह सुनिश्चित करना चाहिए.
  • रोग को नियंत्रित करने के लिए कार्बोक्सिम 37.5 प्रतिशत, थीरम 37.5 प्रतिशत, डीएम चार ग्राम को प्रति किलोग्राम बीज में मिलाकर बीजोपचार करना चाहिए. 
  • बारिश की कमी होने पर ट्राइकोडर्मा और स्यूडोमोनास को मिलालकर एक किलोग्राम प्रति एकड़ खेत में डालन चाहिए. 
  • बारिश कम होते ही खेत में कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत फंगीसाइड एक किलोग्रा प्रति एकड़ की दर से डालना चाहिए.