अरहर की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद होती है. पर कीट और रोग इसकी खेती के लिए दुश्मन माने जाते हैं क्योंकि अरहर की खेती में किसानों को सबसे अधिक नुकसान कीट और रोगों से ही होता है. उकठा रोग अरहर के लिए सबसे अधिक विनाशकारी रोग माना गया है. अरहर की खेती में यह रोग पूरे भारत में पाया जाता है. अरहर की खेती करने वाले प्रमुख राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार में किसानों को उकठा रोग के कारण काफी नुकसान होता है. एक ही खेत में लगातार अरहर की खेती करने के कारण यह रोग अधिक जोर पकड़ता है. इस रोग के प्रकोप के कारण खेत में लगभग 50 प्रतिशत पौधे सूखकर नष्ट हो जाते हैं.
उकठा रोग के कारण उत्तर प्रदेश और बिहार में हर साल 5-10 प्रतिशत अरहर की फसल बर्बाद हो जाती है. हालांकि अरहर की खेती से किसानों को अच्छा फायदा होता है इसलिए किसानों को इसकी खेती करने के लिए अच्छे किस्म के बीज चयन करना चाहिए. साथ ही संतुलित मात्रा में उर्रवरकों का इस्तेमाल करना चाहिए. अरहर के खेती को उकठा रोग से बचाने के लिए समुचित प्रबंधन करके इससे होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है. अरहर में उकठा रोग का प्रकोप देर से पकने वाली प्रजातियों पर होता है. इस रोग में बीज के अंकुर और पौधे मुरझाकर सूख जाते हैं. जबकि खेत में नमी की पर्याप्त मात्रा रहती है.
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अरहर में लगने वाला उकठा रोग एक मिट्टी से होने वाला रोग है. इसलिए बड़े पैमाने पर मिट्टी का इलाज करना तो संभव नहीं है पर इस रोग को नियंत्रित करने के लिए खेती के क्रियाकलापों को अगर बदल दिया जाए तो इससे बहुत हद तक नियंत्रित किया जा सकता है. इस रोग के प्रबंधन के लिए किसान इन उपायों को अपना सकते हैं.
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