Odisha Paddy Procurement: धान की गुणवत्ता को लेकर मनमानी कर रहे मिलर्स! प्रशासन ने मंडियों में भेजी जांच टीम

Odisha Paddy Procurement: धान की गुणवत्ता को लेकर मनमानी कर रहे मिलर्स! प्रशासन ने मंडियों में भेजी जांच टीम

इस बार जिले में खरीफ सीजन के लिए 21 लाख टन धान की खरीद करने का लक्ष्य रख प्रशासन की तरफ से रखा गया है. पर अभी तक मात्र 82,400 क्विटल धान की ही खरीद हो पाई है.

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Odisha Paddy Procurement: धान की गुणवत्ता को लेकर मनमानी कर रहे मिलर्स! प्रशासन ने मंडियों में भेजी जांच टीमOdisha Paddy Procurement

ओडिशा में एमएसपी पर धान की खरीद चल रही है. इसके साध ही कई राज्य के कई जिलों से धान खरीद की धीमी गति हो किसानों को परेशानी होने की खबरे आ रहे हैं. वहीं जेयपोर जिले में अनाज की उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) को लेकर किसानों और मिल मालिकों के बीच गतिरोध हो गया है. इसकी जानकारी मिलने के बाद कोरापुट जिला प्रशासन की तरफ से बुधवार को जेयपोर, कोटपाड और बोरिगुम्म प्रखंड रके मंडियों में अधिकारियों की टीम भेजी को भेजा गया था. अधिकारियों की टीम ने जाकर उन मंडियों में खरीफ धान खरीद की प्रक्रिया का निरीक्षण किया. 

इस बार जिले में खरीफ सीजन के लिए 21 लाख टन धान की खरीद करने का लक्ष्य रख प्रशासन की तरफ से रखा गया है. पर अभी तक मात्र 82,400 क्विटल धान की ही खरीद हो पाई है. क्योंकि यहां पर धान खरीद कार्य काफी धीमी गति से चल रहा है. इतना ही नहीं यहां पर मिल मालिकों की मनमानी भी चल रही है इसके कारण किसान परेशान हो रहे हैं औऱ उन्हें नुकसान का भी सामना करना पड़ रहा है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक मिल मालिक कथित तौर पर अनाज की गुणवत्ता खराब होने का आरोप लगाते हुए प्रति क्विंटल 4 किलोग्राम अतिरिक्त धान की मांग कर रहे हैं या फिर वजन में कटौती की जा रही है. 

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सभी मंडियों को शुरू करने के लिए उठाए जा रहे कदम

जबकि दूसरी तरफ नागरिक आपूर्ति अधिकारी पीके पांडा ने किसानों को यह आश्वासन दिया है कि जिला प्रशासन यह सुनिश्चित कर रहा है कि अगले दो से तीन दिनों के अंदर जिले की सभी मंडियों में धान की खरीद शुरू हो जाए. इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं.  इस बीच, आधिकारिक सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि धान के उठाव के लिए पंजीकृति कुल 92 मिलर्स में से लगभग 85 ने अब तक मानदंडों के अनुसार आगे की कस्टम मिलिंग के लिए मंडियों से धान उठाने के लिए नागरिक आपूर्ति विभाग के साथ एमओयू किया है.  

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किसानों के पास नहीं है रबी की खेती के लिए पैसे

जबकि दूसरी तरफ धान खरीद मंडियों के शुरू नहीं होने के कारण और धान खरीद में देरी होने के कारण किसानों को अपना धान बेचने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. किसानों का कहन है की धान खरीद में हो रही देरी के कारण उनकी रबी की खेती में देरी हो रही है क्योंकि उनके पास आगे की खेती करने के लिए पैसे नहीं है. यहां पर इस बात को लेकर विवाद हो गया है कि क्वालिटी के नाम पर मिलर्स 4 किलोग्राम प्रति क्विंटल धान की कटौती करना चाह रहे हैं जबकि किसान यह दावा कर रहे हैं कि उनकी फसल की गुणवत्ता अच्छी है और वो प्रति दो किलोग्राम अतिरिक्त धान छोड़ने पर सहमत हुए हैं. 


 

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