नांदेड़ में किसान का फूटा गुस्सा, सब्सिडी न मिलने पर तहसीलदार की गाड़ी फावड़े से तोड़ी

नांदेड़ में किसान का फूटा गुस्सा, सब्सिडी न मिलने पर तहसीलदार की गाड़ी फावड़े से तोड़ी

मुदखेड़ तहसील के वासरी गांव के किसान साईनाथ खानसोले ने दिवाली अंधेरे में बीतने और सब्सिडी न मिलने से नाराज होकर तहसीलदार की सरकारी गाड़ी फोड़ दी. पुलिस ने किसान को हिरासत में लिया, प्रशासन ने कहा – “सहायता राशि पहले ही दी जा चुकी है.”

Advertisement
नांदेड़ में किसान का फूटा गुस्सा, सब्सिडी न मिलने पर तहसीलदार की गाड़ी फावड़े से तोड़ीकिसान ने तहसीलदार की गाड़ी फोड़ी

महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के मुदखेड़ तहसील में किसानों का गुस्सा फूट पड़ा. वासरी गांव के किसान साईनाथ मारुति खानसोले ने तहसील कार्यालय परिसर में खड़ी सरकारी गाड़ी को फावड़े से तोड़ दिया. घटना के दौरान उन्होंने “जय जवान जय किसान” के नारे लगाते हुए कहा कि किसान आत्महत्या कर रहे हैं और अधिकारी आरामकुर्सी पर बैठे हैं.

साईनाथ का आरोप था कि किसानों को सरकार द्वारा घोषित सब्सिडी या सहायता राशि नहीं मिली, जिससे उनकी दिवाली अंधेरे में बीत गई. उन्होंने कहा, “किसानों की दिवाली अंधेरी है, सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई, और अधिकारी वेतन लेकर मौज कर रहे हैं. मैं भगतसिंह जैसा हूं, फांसी पर चढ़ने को तैयार हूं.”

वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस ने किसान साईनाथ खानसोले को हिरासत में ले लिया है.

क्या कहा किसान ने?

किसान साईनाथ खानसोले ने कहा, किसान आत्महत्या करते हैं और अधिकारी मालिदा खाते हैं. किसानों को कोई पैसा नहीं मिला है, और किसानों की दिवाली अंधेरी हो गई है. आप गांव में जाकर क्यों पूछ रहे हैं कि उन्हें कोई पैसा मिला है? जब एक आम किसान टैक्स देता है, तो आपका वेतन आपका होता है, आपको इसका एहसास होना चाहिए. मैं फांसी पर चढ़ने को तैयार हूं, आपने किसानों के लिए क्या किया? हमारी दिवाली अंधेरी हो गई, सोयाबीन चली गई और आप आरामकुर्सी पर बैठकर वेतन ले रहे हैं. मैं नहीं डरूंगा, चाहे मुझे फांसी ही क्यों न चढ़ जाए. किसान आज बेसहारा हैं.

प्रशासन की प्रतिक्रिया

मुदखेड़ के तहसीलदार आनंद देउलगांवकर ने बताया कि साईनाथ को पहले ही सब्सिडी राशि दी जा चुकी है.

“दिवाली से पहले उनके खाते में 6,200 रुपये और 90 रुपये जमा किए गए हैं. उनके नाम से ग्रुप नंबर 371 और 382 में जमीन दर्ज है, जिसकी कुल मिल्कियत एक हेक्टेयर से कम है. 23,800 किसानों में से 20,000 किसानों को सहायता राशि पहले ही दी जा चुकी है.”

देउलगांवकर ने कहा कि किसानों की शिकायतें तहसील कार्यालय में सुनी जा रही हैं, लेकिन किसी को कानून हाथ में नहीं लेना चाहिए.

देउलगांवकर ने कहा, साईनाथ मारुति खानसोले के पास एक साझा और एक निजी जमीन थी. बसरी में उनके पास ग्रुप संख्या 371 और ग्रुप संख्या 382 थी, लेकिन उनकी कुल जमीन एक हेक्टेयर से भी कम थी. हमने पंचनामा बनाकर उन्हें सरकारी दर पर सहायता राशि प्रदान कर दी है. हमें उनकी ओर से कोई योजना या आवेदन नहीं मिला है. मुदखेड़ तालुका के 23,800 किसानों की सूचियां पोर्टल पर अपलोड कर दी गई हैं. इनमें से 20,000 किसानों को दिवाली से पहले सरकारी सहायता मिल चुकी है. अन्य किसानों के लिए भी जल्द से जल्द सहायता राशि जमा करने की प्रक्रिया चल रही है. मुदखेड़ में 85 परसेंट से ज्यादा किसानों की सूचियां अपलोड हो चुकी हैं और उन्हें सब्सिडी मिल जाएगी. किसान की जो भी समस्या हो, वह आकर हमें बताए.

किसान संगठनों की प्रतिक्रिया

स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता राजू शट्टी ने इस घटना को किसानों की “व्यवस्था के खिलाफ प्रतिक्रिया” बताया. “यह प्रतीकात्मक विरोध है. तहसीलदार को चोट नहीं आई, लेकिन यह संदेश सरकार तक पहुंचना चाहिए कि किसान अब चुप नहीं रहेंगे.”

POST A COMMENT