किसान महापंचायतग्रेटर नोएडा में भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति द्वारा पिछले कई दिनों से धरना प्रदर्शन लगातार जारी है. इस दौरान यमुना एक्सप्रेसवे पर बुधवार को अन्य किसान संगठनों के साथ की गई महापंचायत के दौरान पुलिस द्वारा कार्यकर्ताओं के ट्रैक्टर रोके जाने से नाराज किसानों और पुलिस में जमकर धक्का-मुक्की और नोक-झोंक हुई. मौके पर पहुंचे प्राधिकरण के अधिकारी और जेवर के एसडीएम ने किसानों को समझा बुझाकर शांत करावाया. लंबी चली वार्ता के बाद किसानों ने अपनी मांगों का एक ज्ञापन यमुना प्राधिकरण के ओएसडी शैलेंद्र सिंह को सौंपा, जिसके बाद अधिकारियों ने मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया है.
अब 18 नवंबर को रौनीजा गांव में दोबारा से महापंचायत बुलाई गई है. इसको लेकर किसानों का कहना है कि यमुना विकास प्राधिकरण लंबे समय से उनकी भूमि अधिग्रहण से जुड़ी समस्या, पुनर्वास नीति और अन्य मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है, जिससे किसानों में भारी नाराजगी है. तय कार्यक्रम के अनुसार भारतीय किसान यूनियन लोक शक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्योराज सिंह के नेतृत्व में 21 किसान संगठनों के कार्यकर्ता बुधवार को यमुना एक्सप्रेस वे के फलेदा कट पर महापंचायत में पहुंचे.
महापंचायत के दौरान कुछ कार्यकर्ताओं के ट्रैक्टरों को मोहम्मदाबाद खेड़ा के अंडरपास पर रोके जाने से नाराज किसान यमुना एक्सप्रेस वे को जाम करने के लिए जाने लगे. इस दौरान पुलिस ने किसानों को बैरिकेड लगाकर रोकने का प्रयास किया. किसान वेरीकेट को धकेलना लगे तो किसानों की पुलिस से झड़प हो गई. हालात ऐसे बने की स्थिति नियंत्रण से बाहर जाने लगी, फिर पुलिस को बेरिकेट के दोनों और दर्जन भर थानों की पुलिस और पीएससी तैनात करनी पड़ी. इस दौरान किसानों ने कहा कि आश्वासन से काम नहीं चलेगा ठोस कार्रवाई चाहिए, वरना आंदोलन उग्र होगा.
महापंचायत के बीच पहुंचे यमुना प्राधिकरण के ओएसडी शैलेंद्र सिंह, जेवर के एसडीएम अभय कुमार सिंह ने किसानों से उनकी मांगों का ज्ञापन लिया. भाकियू लोकशक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्योराज सिंह ने बताया कि किसानों की मांगों को लेकर गांव रौनीजा में 107 दिन से लगातार धरना चल रहा है. लेकिन प्राधिकरण के अधिकारियों में आज तक किसानों की सुध नहीं ली, जिसके चलते बुधवार को महापंचायत का आयोजन किया गया था. वहीं, अब 18 नवंबर को सहयोगी संगठनों के साथ गांव रौनीजा में दोबारा से महापंचायत बुलाई गई है. (अरुण त्यागी की रिपोर्ट)
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