झारखंड के रामगढ़ जिले में मनरेगा योजना में गड़बड़ी का मामला सामने आ रहा है. योजना में यहां पर बिचौलिए हावी हैं, इसके कारण योजना धरातल पर नहीं उतर पा रही है. मनरेगा योजना सिर्फ कागज पर ही सिमट कर रह गई है. योजना को लेकर इस तरह की बात सामने आई है कि योजना की पूरी राशि निकाल ली गई है पर लाभुक को अभी तक एक भी पैसे नहीं मिले हैं और उनके यहां किसी प्रकार की कार्य भी नहीं हुआ है. लाभ नहीं मिल पाने के कारण अब योजना से जुड़े हुए लाभुक खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. इतना हीं नहीं उनकी परेशानी बढ़ गई है.
रामगढ़ जिले में छह प्रखंड हैं. यहां के सभी छह प्रखंडों में मनरेगा योजना के तहत खूब काम हो रहा है. पर यह काम सिर्फ कागजों में ही हो रहा है क्योंकि कागजों में तो काम होता दिख रहा है, पैसे की निकासी भी हो रही है पर जमीन में किसी प्रकार का काम दिखाई नहीं दे रहा है. उदाहरण के लिए अगर रामगढ़ के मांडू प्रखंड की बात करें तो यहां पर कई ग्रामीणों को मनरेगा योजना के तहत गाय शेड, बकरी शेड और मुर्गी शेड दिया गया. पर इन शेड का निर्माण कार्य अभी तक अधूरा है. सिर्फ प्लिंथ लेवल तक की शेड का निर्माण हुआ है. लाभुकों के खाते से पूरी राशि निकाल ली गई है.
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रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड के गांवों में जाने पर योजना के तहत की जा रही घपलेबाजी के कई उदाहरण मिल जाएंगे. यहां पर गांवों में आधा-अधूरा बकरी शेड और गाय शेड बना हुआ दिखाई देगा. मांडू चट्टी की एक लाभुक नीतू देवी बताती हैं कि मनरेगा के तहत उन्हें एक एक गाय शेड मिला था, जिसकी लागत एक लाख चालीस हजार रुपये थी. उन्होंने बताया कि अपने पैसे से उन्होंने गाय शेड का निर्माण प्लिंथ लेवल कर कराया है. अब तक उन्हें गाय शेड के नाम पर सिर्फ एक हजार रुपये मिले हैं जबकि उनके खाते से योजना के तहत मिली पूरी राशि निकाल ली गई है. नीतू देवी ने बताया कि उन्होंने विभाग में इससे संबंधित एक आवेदन भी दिया है पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
एक अन्य लाभुक परशुराम यादव ने बताया कि इन्हें भी एक गाय का शेड मिला है. शेड के नाम पर अब तक सिर्फ 4300 रुपये मिले हैं. इसके कारण उनका गाय शेड अभी भी अधूरा पड़ा हुआ है. वहीं कौशल्या देवी बताती हैं कि उन्हें मनरेगा योजना के तहत एक कुआं मिला था जिसकी लागत चार लाख रुपये थी. इसके एवज में उनसे 10 हजार रुपये भी लिए गए थे. पर कुआं निर्माण के नाम पर उन्हें अब तक सिर्फ 80 हजार रुपये ही मिले हैं. जबकि उन्होंने कर्ज लेकर कुआं बनवा लिया है. अब महाजन उनसे पैसे वापस मांग रहा है और उनके पास देने के लिए पैसे नहीं हैं. कौशल्या देवी ने कहा कि अगर उन्हें पैसे नहीं मिले तो वह उसी कुएं में कूदकर अपनी जान दे देंगी.
इस तरह के मामलों की संख्या इतनी ही नहीं है. ऐसे कई मामले और शिकायतें हैं जो लगातार सामने आती रहती हैं. जिले में इस तरह के कई ऐसे मामले देखने के लिए मिल जाएंगे जहां पर आधा अधूरा काम हुआ है. कई जगह पर बागवानी योजना दी गई है पर बगान में आम के पड़े ही नहीं हैं. जहां पर कुआं निर्माण करने की जरूरत नहीं है वहां पर कुआं का निर्माण कर दिया गया है. इसके अलावा इसके भुगतान में भी कई प्रकार की गड़बड़ियां सामने आती हैं. मजदूरों की संख्या कम होने पर भी अधिक उपस्थिति दिखाकर भुगतान किया जाता है.
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इस तरह से बिचौलिए उस राशि का बंदरबाट कर लेते हैं जबकि दिखाया जाता है कि पैसों का भुगतान मजदूरों को किया गया है. रामगढ़ की विधायक सुनीता चौधरी भी यह स्वीकार करती हैं कि जिले के कई प्रखंडों से इस तरह की शिकायत उनके सामने लगातार मिल रही है. उन्होंने स्वीकार किया कि मुखिया की शह पर यह हो रहा है. सिर्फ उन लोगों को योजना का लाभ मिल रहा है जो पैसा दे रहे हैं. मामला सामने आने के बाद कुछ लोगों को शोकॉज किया गया है. साथ ही लाभुकों का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा की जो भी दोषी होंगे उनपर कार्रवाई की जाएगी. वही किसान तक से बात करते हुए रामगढ़ के डीसी चंदन कुमार ने कहा कि इस पूरे मामले की जांच होगी. अगर शिकायत सही पाई गई तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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