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अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी भारतीय कपास की मांग, निर्यात में आया 137 फीसदी का उछाल

अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी भारतीय कपास की मांग, निर्यात में आया 137 फीसदी का उछाल

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल गणात्रा ने कहा कि इस बार अक्टूबर से मार्च की अवधि के दौरान भारतीय कपास की कीमतें अन्य देशों के कपास की तुलना में अच्छी रही. इसके चलते कपास का निर्यात भी अधिक हो सका.

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कपास का मंडी भाव कपास का मंडी भाव

कपास निर्यात के मामले में भारत ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. 2023-24 की पहली छमाही में अक्टूबर से लेकर मार्च तक दोगुना से अधिक कपास का निर्यात किया गया है. इतना ही नहीं, विदेशी खरीदारों के बीच अच्छी कीमत भी भारतीय कपास को हासिल हुई है. 2023-24 में अक्टूबर से मार्च के दौरान किए गए कपास निर्यात के आंकड़े को देखें तो यह 137 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इस अवधि के दौरान 18 लाख बेल कपास का निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल इस अवधि के दौरान 7.59 लाख बेल का ही निर्यात हो सका था. कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया की तरफ से यह आंकड़े जारी किए गए थे. आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022-23 की इस अवधि के दौरान भारत ने 15.59 लाख बेल्स का निर्यात किया था. 

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल गणात्रा ने कहा कि इस बार अक्टूबर से मार्च की अवधि के दौरान भारतीय कपास की कीमतें अन्य देशों के कपास की तुलना में अच्छी रही. इसके चलते कपास का निर्यात भी अधिक हो सका. उन्होंने कहा कि अंतराष्ट्रीय कीमतों की तुलना में भारतीय कपास की कीमतें 3000-4000 रुपये प्रति कैंडी तक कम थी. इससे बाजार में कुछ समय के लिए मांग बढ़ने में मदद मिली. हालांकि कॉटलूक इंडेक्स के अनुसार अब वैश्विक कपास की कीमतों की तुलना में भारतीय कपास की कीमतें थोड़ी बढ़ी हैं. 

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22 लाख बेल्स का निर्यात

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया का अनुमान है कि चालू निर्यात वर्ष 2023-24 में सिंतबर तक भारतीय कपास का निर्यात बढ़कर 22 लाख बेल तक जा सकता है. सीएआई आने वाले 10 जून को एक बार फिर से राष्ट्रीय फसल समिति लुधियाना के साथ मिलकर एक्सपोर्ट प्रोजेक्शन को रिवाइज करेगा. यह रिविजन मई अंत तक भेजे गए शिपमेंट और 60 स्टेकहोल्डर्स से मिली जानकारी के अनुसार किया जाएगा. 

बांग्लादेश से आ रही अधिक मांग

रायचूर कर्नाटक के सोर्सिंग एजेंट रामानुज दास बूब ने कहा कि भारतीय कपास की मांग खरीदारों के बीच और मजबूत हो रही है. खास कर बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों से खूब मांग आ रही है. बांग्लादेश के खरीदार भारतीय कपास को इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि उनके लिहाज यह सस्ता होता है और माल की डिलीवरी भी जल्दी हो जाती है. दास ने कहा कि बांग्लादेश के अलावा कई मल्टीनेशनल कंपनियां जैसे लुईस डेरेफस, विटेरा और ओलम जैसी कंपनियां तेजी से भारतीय स्टॉक को उठा रही हैं ताकि स्थानीय भारतीय बाजार में अपनी पकड़ बना सके. 

स्थिर हैं कीमतें

आईसीएम में मार्च के महीने में 102 सेंट प्रति पाउंड के उच्चतम स्तर पर थी जो फिलहाल 80 सेंट प्रति पाउंड के आसपास है. जबकि घरेलू कीमतें इस सीज़न के दौरान 61000 प्रति कैंडी से घटकर 58000 के स्तर पर आ गई हैं. भारत में घरेलू कीमतें बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भारतीय बाजार में माल बेचने के लिए बहुत प्रतिस्पर्धी हैं. दास ने कहा कि कीमतों में जो उतार-चढ़ाव अभी स्थिर है, वह आगे चलकर आईसीई के भविष्य पर निर्भर करेगा. हालांकि सीएआई ने अनुमान लगाया है कि घरेलू मार्केट में इस बार 309.70 लाख बेल्स का की मांग होगी. जो 170 रुपये प्रति किलो की दर से होगी. 

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देश में कपास की मांग

देश के घरेलू बाजार में मार्च के अंत तक 175 लाख बेल्स कपास की मांग हुई जो पिछले साल इस महीने में हुई मांग 135.70 लाख बेल्स के अधिक है. अनुमान लगाया जा रहा है कि सितंबर तक देश में बाजारों में 317 लाख बेल्स कपास की मांग होगी. सीएआई का अनुमान है कि मार्च के अंत तक देश में कपास की कुल आपूर्ति 297.3 लाख बेल्स होगी. इसमें बाजार में 263 लाख बेल्स की आवक और 28.90 हजार बेल्स का शुरुआती स्टॉक शामिल है. मार्च 2024 के अंत में स्टॉक 114 लाख बेल्स होने का अनुमान लगाया गया था.