भारतीय कृषि में नए और सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कृषि का मशीनीकरण करना होगा. क्योंकि आज के समय किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाना बड़ी चनौती है. इस चुनौती से निपटने के लिए मशीन ही किसानों की मदद कर सकते हैं. क्योंकि इसके इस्तेमाल से उत्पादन बढ़ेगा और गुणवत्ता भी बढ़ेगी. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के डीडीजी अभियंत्रण डॉ एस एन झा ने रांची स्थित आईसीएआर राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान नामकुम में कहा कि सभी राज्य सरकारों कृषि अभियंत्रण कि दिशा में और बेहतर काम करने की जरूरत है. क्योंकि एग्रीकल्चर इंजीनियर हर तरह से किसानों की मदद कर सकता है.
उन्होंने झारखंड सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि सरकार को कृषि अभियांत्रिकी के लिए अलग से निदेशालय बनाना चाहिए, ताकि अच्छे से मॉनिटरिंग हो सके और इसका लाभ राज्य के किसानों को मिल चुके. उन्होंने बताया कि पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी राज्यों को मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कृषि अभियांत्रिकी निदेशालय बनाने के लिए चिट्ठी भी लिखी थी.डॉ एनएस झा ने तमिलनाडु और मध्य प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि इन राज्यों में यह सिस्टम बेहतर काम कर रहा है किसानों को इसका लाभ मिल रहा है. बिहार में लगभग काम पूरा हो चुका है. सिर्फ निदेशालय अलग होने की प्रक्रिया चल रही है.
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झारखंड सरकार को सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि हर जिला अथवा ब्लाक में एक कृषि अभियंता की नियुक्ति सुनिश्चित करनी चाहिए. हाल ही में झारखण्ड सरकार ने 29-30 कृषि अभियंता की नियुक्ति की थी जो सराहनीय है परन्तु और भी कृषि अभियंताओं की नियुक्ति क्षेत्र में किसानों की आय बढ़ाने में बहुत मददगार साबित होंगे. तीन राज्य जैसे की मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडू ने कृषि अभियांत्रिकी निदेशालयों का गठन किया, जिससे इन राज्यों के किसानों को लाभ मिल रहा है. उन्होंने कहा कि ब्राजील जैसे देश में भी भारत से अधिक कृषि मशीनरी का इस्तेमाल होता है. इसलिए भारत का लक्ष्य होना चाहिए कि 2047 तक 75 फीसदी खेतों में मशीन से काम होना चाहिए.
खेती में मशीनों के इस्तेमाल पर जोर देते हुए उन्होंने बताया कि कृषि अभियंता के मदद से ज्यादा से ज्यादा कृषि में यंत्रीकरण को बढ़ावा मिलेगा जिससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी और इससे खेतों की पैदावार में 20-22 प्रतिशत की बढ़ोतरी. मशीनों के इस्तेमाल से खर पतवार में 35-40 प्रतिशत की कमी आ सकती है इससे कृषि के लिए मजदूरों पर निर्भरता कम होगी. मशीनों के इस्तेमाल से पानी की बचत होगी क्योंकि इससे ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकलर इरिगेशन को बढ़ावा मिलेगा जिससे भूमिगत जलस्तर में सुधार होगा.
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किसान तक के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि देश में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या अधिक है. उनके पास छोटी जोत वाली जमीन है उनके खेतों का मशीनीकरण करना कितनी बड़ी चुनौती है. पर इस दिशा में भी काम हो रहा है. छोटे खेतों के लिए छोटी मशीनें तैयार की जा रही है. उन्होंने बताया कि सोनालीका ट्रैक्टर कंपनी ने एक छोटा ट्रैक्टर तैयार किया है जो एक कट्ठा जमीन में भी आराम से घूम कर उसकी जुताई कर सकता है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश में छोटे कृषि रोबोट बनाने पर कार्य हो रहा है. जो खेती से जुड़े कार्य करेगा.
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