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चीनी मिलों के ऊपर सरकार की बड़ी कार्रवाई, चीनी कोटा में की गई 25 प्रतिशत की कटौती, ये है वजह

चीनी मिलों के ऊपर सरकार की बड़ी कार्रवाई, चीनी कोटा में की गई 25 प्रतिशत की कटौती, ये है वजह

खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा 29 फरवरी को जारी एक आदेश में कहा था कि मार्च के दौरान घरेलू बाजार में बिक्री के लिए 511 मिलों के बीच 23.5 लाख टन चीनी आवंटित किया गया है. वहीं, सरकार ने कहा है कि रिलीज कोटा में कटौती करने का निर्णय लिया गया है. खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने कहा कि चूंकि कुछ चीनी मिलों ने स्टॉकहोल्डिंग सीमा का उल्लंघन किया था और नवंबर और दिसंबर 2023 के लिए अपने रिलीज कोटा से अधिक चीनी बेची थी.

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चीनी मिलों के खिलाफ सरकार हुई सख्त. (सांकेतिक फोटो) चीनी मिलों के खिलाफ सरकार हुई सख्त. (सांकेतिक फोटो)

केंद्र सरकार ने बजाज हिंदुस्तान ग्रुप, पोन्नी शुगर्स, राणा शुगर्स, डीएस शुगर्स और गोदावरी बायोरिफाइनरीज के खिलाफ कार्रवाई की है. इन कंपनियों के ऊपर नवंबर-दिसंबर 2023 के दौरान तय लिमिट से ज्यादा चीनी बेचने का आरोप है. ऐसे में केंद्र ने मार्च में घरेलू बिक्री के लिए मासिक रिलीज आवंटित करते हुए इन कंपनियों की चीनी कोटा में 25 प्रतिशत की कटौती की है. खास बात यह है कि इन कंपनियों के पास देश भर में 85 चीनी मिले हैं.

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, इन कंपनियों में एक के पास कर्नाटक में कई चीनी मिलें हैं, जिसने इन आरोप से इनकार किया है. उसने कहा गया है कि कंपनी की दूसरी इकाई से होने वाली खुदरा बिक्री के कारण जीएसटी रिटर्न की दोहरी फाइलिंग पर बिक्री के आंकड़े आवंटन से अधिक दिखाई दे रहे हैं. अगर सरकार चाहे, तो वेरिफिकेशन कर सकती है. वहीं, अधिकारियों ने कहा कि अगर कोई कंपनी कोटा में कटौती का विरोध करती है तो सरकार दावों की पुष्टि करने के लिए तैयार है. 

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23.5 लाख टन चीनी आवंटित

खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा 29 फरवरी को जारी एक आदेश में कहा था कि मार्च के दौरान घरेलू बाजार में बिक्री के लिए 511 मिलों के बीच 23.5 लाख टन चीनी आवंटित किया गया है. वहीं, सरकार ने कहा है कि रिलीज कोटा में कटौती करने का निर्णय लिया गया है. खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने कहा कि चूंकि कुछ चीनी मिलों ने स्टॉकहोल्डिंग सीमा का उल्लंघन किया था और नवंबर और दिसंबर 2023 के लिए अपने रिलीज कोटा से अधिक चीनी बेची थी. इसलिए उनके कोटा को कम करने का निर्णय आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 3 को लागू करके लिया गया है. 

इन चीनी मिलों के ऊपर कार्रवाई

प्रभावित होने वालों में महाराष्ट्र की 28, उत्तर प्रदेश की 27 और कर्नाटक की 22 चीनी शामिल हैं. ये राज्य देश के शीर्ष तीन चीनी उत्पादक हैं. सूत्रों ने कहा कि ये मिलें 3.67 लाख टन कोटा के लिए पात्र थीं, जबकि उन्हें  2.75 लाख टन कोटा चीनी आवंटित किया गया था. कर्नाटक की चीनी मिलें सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं, क्योंकि 1.34 लाख टन का कोटा पाने की उनकी पात्रता के बजाय मिलों को लगभग 1.01 लाख टन कोटा मिला है.

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कारण बताओ नोटिस जारी 

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने नियमों का पालन करने वाली मिलों के बीच 91,762 टन की कम मात्रा आवंटित की है, ताकि बाजार में पर्याप्त उपलब्धता रहे. बिजनेसलाइन ने पिछले महीने इन चीनी कंपनियों/मिलों को आवंटित कोटा से अधिक खुले बाजार में चीनी बेचने के लिए सरकार द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस की सूचना दी थी. कई मिलें कठोर कार्रवाई को लेकर संशय में थीं, क्योंकि उनका मानना था कि सरकार किसानों का भुगतान रोकने का जोखिम नहीं उठा सकती, क्योंकि मिलों पर गन्ना भुगतान करने का दबाव है. ऐसा कहा जाता है कि कुछ मिलों ने आवंटित मात्रा से 40 प्रतिशत अधिक चीनी बेची थी.