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हरे चारे के लिए बेस्ट है ज्वार की ये नई किस्म, खिलाते ही पशुओं का बढ़ जाता है दूध

हरे चारे के लिए बेस्ट है ज्वार की ये नई किस्म, खिलाते ही पशुओं का बढ़ जाता है दूध

ज्वार की इस नई किस्म का नाम CSV 59BMR है. इस किस्म को आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है. यह किस्म हरे चारे के लिए बेस्ट है. यह भूरे तने वाली चारे की एक किस्म है जो पशुओं के लिए बेहतर है. इस चारे में लिगनीन की मात्रा कम पाई जाती है जबकि यह पशुओं के लिए अधिक सुपाच्य है. खाते में कुछ ही देर में यह चारा पच जाता है जिससे पशुओं की पूरी आहार व्यवस्था मजबूत बनी रहती है.

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ज्वार चारा ज्वार चारा

पशुओं के लिए सालभर हरे चारे का इंतजाम करना वाकई मुश्किल काम है. किसान इसी चिंता में रहते हैं कि चारे का क्या होगा. खासकर पशु अगर दुधारू हो तो चिंता और भी बढ़ जाती है. ग्रामीण इलाकों में अधिकांश किसान ऐसे मिलेंगे जो चारे और कुट्टी पर ही अपने मवेशियों को पालते हैं क्योंकि आहार या दाना खरीदना उनके लिए महंगा सौदा है. ऐसे में उन किसानों के लिए एक खुशखबरी है. ICAR ने पशु चारे के लिए ज्वार की ऐसी किस्म विकसित की है जो कम खर्च में अधिक चारा दे सकती है. आइए इस वैरायटी के बारे में जान लेते हैं.

ज्वार की इस नई किस्म का नाम CSV 59BMR है. इस किस्म को आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है. यह किस्म हरे चारे के लिए बेस्ट है. यह भूरे तने वाली चारे की एक किस्म है जो पशुओं के लिए बेहतर है. इस चारे में लिगनीन की मात्रा कम पाई जाती है जबकि यह पशुओं के लिए अधिक सुपाच्य है. खाते में कुछ ही देर में यह चारा पच जाता है जिससे पशुओं की पूरी आहार व्यवस्था मजबूत बनी रहती है. इस चारे में लिगनीन की मात्रा कम पाई जाती है जिससे पशु इसे आसानी से पचा लेते हैं.

पशु चारे की खासियत

दरअसल, लिगनीन का पेड़-पौधों में पाया जाने वाला एक वाटरप्रूफ पॉलीमर होता है जिसे पौधों के लिए बैकबोन भी कहा जाता है क्योंकि यह स्ट्रक्चर और सपोर्ट देने का काम करता है. यह ऐसा पॉलीमर है जो पेड़-पौधों से पानी की क्षति को रोकता है. इसके फायदे कई हैं, लेकिन पशुओं के लिए इसे पचाना मुश्किल होता है. यही वजह है कि चारे की नई किस्म सीएसवी 59बीएमआर में लिगनीन की मात्रा को कम रखा गया ताकि पशु इसे आसानी से पचा सकें.

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ज्वार की इस किस्म की खासियत हरे चारे की उत्पादन मात्रा भी है. यह ज्वार किसानों को 380 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हरा चारा देता है जबकि सूखे चारे के तौर पर इसकी उपज 116 से 120 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है. इस चारे में प्रोटीन की मात्रा 8.7 परसेंट तक है. अन्य खासियतों की बात करें तो दुधारू पशुओं को अगर यहा चारा दिया जाए तो अधिक दूध के साथ मांस का अधिक उत्पादन होने की भी संभावना है.

इन राज्यों में उगाने की सिफारिश

ज्वार की ये नई किस्म सीएवी 59बीएमआर तेलंगाना, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तराखंड में उगाने के लिए उपयुक्त है. आईसीएआर ने इन राज्यों में ज्वार की इस किस्म को उगाने के लिए सिफारिश की है. किसान इस ज्वार के बीज को राष्ट्रीय बीज निगम यानी कि NSC की ई-कॉमर्स वेबसाइट पर ऑनलाइन ऑर्डर करके घर पर मंगा सकते हैं. एनएससी की वेबसाइट पर किसानों को यह बीज सस्ते में मिल जाएगा.

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अन्य किस्मों की बात करें तो सीएसएच-24 एमएफ भी है जिसे न्यूट्री गोल्ड के नाम से बेचा जाता है. यह ज्वार की उन्नत किस्म है जिसे किसान दुधारू पशुओं के लिए चारे के लिए रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. इस चारे को एक बार लगाने के बाद कई बार काट सकते हैं. इस चारे में प्रोटीन की मात्रा अधिक है, इसे पचाना आसान है और एससीएन की मात्रा कम होने से पशुओं के लिए यह फायदेमंद है. इसे बुवाई कर प्रति हेक्टेयर 800-950 क्विंटल चारा लिया जा सकता है. इस चारे को पहली बुवाई के 65 दिन बाद काट सकते हैं. उसके बाद हर 45 दिन पर इसकी कटाई कर सकते हैं.