![भारत में जलवायु परिवर्तन का असर और दायरा लगातार बढ़ रहा है (सांकेतिक फोटो) भारत में जलवायु परिवर्तन का असर और दायरा लगातार बढ़ रहा है (सांकेतिक फोटो)](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/ktak/images/story/202409/66e51cff59054-climate-change-112142120-16x9.jpg?size=948:533)
जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया में चिंता का विषय बना हुआ है. इस चुनौती का समाधान खोजने के लिए वैश्विक स्तर पर जिस तेज गति से प्रयास हो रहे है, उतनी ही तेजी से जलवायु परिवर्तन के विविध रूप देखने को मिल रहे हैं. खासकर, जलवायु की विविधताओं वाले देश भारत में इस चुनौती का असर अब मौसम में बदलाव के साथ साथ क्षेत्रीय आधार पर जलवायु के बदलते रूप में दिखने लगा है. अग्रणी शोध संस्था IPE Global और आईटी सॉल्यूशन से जुड़े समूह ESRI India की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम चक्र में हो रहे बदलाव के साथ अब जल चक्र भी प्रभावित होने लगा है. इसकी वजह Extreme Weather Conditions के कारण पड़ रही भीषण गर्मी है. आलम यह है कि अब यह असर जिला स्तर पर महसूस किया जाने लगा है. स्पष्ट है कि इस असर से प्रभावित हो रहे जिलों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है.
भारत में जलवायु परिवर्तन के असर को लेकर आईपीई ग्लोबल की ओर से जारी किए गए विश्लेषण के अनुसार देश में Extreme Weather Events का स्वरूप अब क्षेत्रीय आधार पर अपना असर दिखा रहा है. इसके तहत जो इलाके अब तक सूखा की मार झेलने के लिए कुख्यात थे, अब उनमें बाढ़ की स्थिति है. इसी प्रकार जो इलाके बाढ़ ग्रस्त रहते थे, अब वे सूखा प्रभावित हैं.
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रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात के तीन चौथाई से ज्यादा जिलों में बाढ़ आने की Frequency और बाढ़ की Intensity बढ़ रही है. इसी प्रकार देश में उन जिलों की संख्या भी बढ़कर 149 हो गई है जो बाढ़ प्रभावित रहते थे, मगर अब सूखाग्रस्त हो रहे हैं. वहीं, गुजरात सहित देश के अन्य राज्यों में सूखा प्रभावित रहने वाले 110 जिले अब बाढ़ का सामना करने लगे हैं. इसमें दक्षिणी राज्य तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के वे तमाम जिले शामिल हैं जिनमें अब Draught Crisis बढ़ रहा है.
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रिपोर्ट के अनुसार Global Warming के इस दौर में पूरी धरती का औसत तापमान 0.6 डिग्री से. तक बढ़ गया है. इससे भारत जैसे Diverse Climate वाले देशों में गर्मी के मौसम की अवधि और तापमान की तीव्रता बढ़ रही है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी वजह जलवायु परिवर्तन के कारण कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन सहित उन गैसों का प्रकोप बढ़ रहा है, जो गर्मी को रोकने में सहयोग करती हैं.
इससे क्षेत्रफल के आधार पर धीरे धीरे गर्मी बढ़ती है. गर्म क्षेत्रों का दायरा बढ़ने के कारण सबसे पहले जमीन की बर्फ पिघलने लगती है और इस वजह से जल चक्र प्रभावित होने लगता है. ये सभी कारक एक साथ असर दिखाते हुए मौसम की चरम घटनाओं की तीव्रता और आवृत्ति को बढ़ा देते हैं. अध्ययन में 1973 से 2023 तक, 50 साल के मौसम का विश्लेषण करने पर पता चला है कि भारत में मौसम की चरम घटनाएं पिछले कुछ दशक में 4 गुना तक बढ़ गई हैं.
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अध्ययन में पता चला है कि भारतीय उपमहाद्वीप में सूखा प्रभावित क्षेत्रों का दायरा लगातार बढ़ रहा है. इसमें Heat Wave वाले दिनों की संख्या में इजाफा होना भी शामिल है. रिपोर्ट के अनुसार भारत में मौसम की चरम घटनाएं क्षेत्रीय आधार पर भी अपना दायरा बढ़ा रही हैं. इस कारण से देश के 85 फीसदी जिले बाढ़, सूखा, चक्रवात और ग्रीष्म लहर से प्रभावित हैं. इनमें 45 फीसदी जिले ऐसे है, जिनमें इस तरह की चरम स्थितियों की आवृत्ति एवं तीव्रता तेजी से बढ़ रही हैं.
रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि देश की अधिसंख्य आबादी मौसम के 'चरमपंथी मिजाज' को महसूस कर रही है. औसतन 10 में से 9 भारतीय इस स्थिति को महसूस कर रहे हैं. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बिहार, यूपी, गुजरात, ओडिशा, राजस्थान, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र के लगभग 60 फीसदी जिले Extreme Weather Events का सामना कर रहे हैं.
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