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Floating House: पानी पर तैरता हुआ सिर्फ घर नहीं, जलवायु परिवर्तन पर यह बिहार का ठेठ जवाब है

Floating House: पानी पर तैरता हुआ सिर्फ घर नहीं, जलवायु परिवर्तन पर यह बिहार का ठेठ जवाब है

घर की पुरातन बनावट शैली के कारण यह ठंड में बाहर से अपेक्षाकृत अधिक गर्म रहता है.जबकि गर्मियों के मौसम से घर के ठंड हा अहसास होता है. इस घर को पानी के ऊपर नाव से खींचकर कहीं भी ले जाया जा सकता है. इसकी टेस्टिंग की जा चुकी है

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फ्लोटिंग हाउस बिहार                                                              फोटोः एएनआई फ्लोटिंग हाउस बिहार फोटोः एएनआई

पानी पर घर बनाया जा सकता और यह अब केवल एक सोच या परिकल्पना नहीं रह गई है. इसे साकार भी किया जा रहा है. इस घर को बनान में बिहार के बक्सर जिले में सफलता मिली है. यह घर इसलिए भी खास है क्योंकि इसके निर्माण में पूरी तरह से प्राकृतिक सामग्री का इस्तेमाल किया गया है. इसके साथ ही निर्माण के समय शून्य कार्बन उत्सर्जन हुआ है. इस घर को बनाने में छह लाख की लागत आयी है और इस घर पर प्रशासनिक मुहर भी लग चुकी है. इस घर को बनाने के मौसम और विपरीत परिस्थितियों में भी हमारे जीवन के लिए सहायक होती है. इस तरह के खास घर को बनाने के खास मिशन में पिछले चार महीनों से  कई देशों के लोग जुटे हुए थे. यह सभी लोग मानव प्रजाति को आपदा से बचाने  के लिए इस तरह के घर का निर्माण करने में लगे हुए हैं. 

इस घर को बनाने में जुटे इंजीनियर प्रशांत ने बताया कि टीम को इस घर को बनाने में कई नई चीजें जैसे मिट्टी, फुस और सुर्की-चूना भी हासिल हुई हैं. इस प्राकृतिक घर को बनाने में किसी भी तरह से पर्यावरण को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाया जा रहा है. इसके लिए सस्ते ईटों का निर्माण किया जा रहा है. इसके अलावा पानी से प्रभावित नहीं होने वाले मिट्टी के प्लास्टर का फॉर्मूल भी इस दौरान इंजीनियरों को मिला है. घर की पुरातन बनावट शैली के कारण यह ठंड में बाहर से अपेक्षाकृत अधिक गर्म रहता है.जबकि गर्मियों के मौसम से घर के ठंड हा अहसास होता है. इस घर को पानी के ऊपर नाव से खींचकर कहीं भी ले जाया जा सकता है. इसकी टेस्टिंग की जा चुकी है. ऐसे में यह मूवेबल हाउसबोट की तरह बाढ़ की आपात स्थिति में चलंत हॉस्पिटल भी बन सकता है.

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बिना वेस्टेज का सूखा शौचालय बना

इस घर का सकार्तमक पॉजिटिव पहलू यह है कि  घर में शौचालय का निर्माण सूखा विधि से किया गया है. जिसका अपशिष्ट का प्रयोग इसी घर के परिसर में लगे पेड़ पौधों और सब्जी आदि फसलों पर किया जा सकेगा. पूरे घर से कार्बन उत्सर्जन जीरो करने का प्रयास किया गया है. इसके अलावा घर में इस तरह के इंतजाम किए गए है कि यह घर खुद के लिए सौर ऊर्जा, भोजन और स्वच्छ पानी का इंतेजाम कर सकता है.इस घर का लोकार्पण नाथ बाबा गंगा घाट पर बक्सर जिलाधकारी अंशुल अग्रवाल , एडीएम धीरेन्द्र कुमार मिश्रा , देश के जाने माने पर्यावरणविद निलय उपाध्याय ने सयुक्त रूप से किया. 

फ्लोटिंग हाउस का किया गया लोकार्पण

इंजीनियर प्रशांत कुमार ने बताया कि इस घर को बनाने में जिला प्रशासन की भूमिका सराहनीय रही. फ्लोटिंग घर को कृतपुरा के लाढोपुर घाट से कम्हरिया ले जाया गया था. वहां से नाव से खींचकर शहर के नाथ बाबा गंगा घाट लाया गया है. बुधवार को इसे सामान्य तौर पर जिला प्रशासन के अफसरों की मौजूदगी में लोकार्पण किया गया. अभी भी यह घर निर्माण के अधीन है. डीएम, एसडीएम व अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में आज घर का लोकार्पण के अवसर पर गंगा की धारा पर तैरता हुआ मकान का विधिवत निरीक्षण भी किया.  लोकार्पण के बाद कुछ दिनों तक बक्सर में रहने के बाद इसे भोजपुर और फिर पटना ले जाया जाएगा.

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काफी मेहनत के 

बताते चले कि बिहार के भोजपुर आरा जिले में देश विदेशों में रिसर्च की पढ़ाई कर रहे युवाओ के ग्रूप ने प्राकृतिक आपदाओं में नदियों में बाढ़ के हालात के दौरान बचाव के उपाय की परिकल्पना को ले कर एक तैरता घर बनाने के उद्देश्य से बिहार कई जिलों के अधिकारियों से परमिशन मांगा था. पर पटना , आरा , भागलपुर जैसे जिलों के अधिकारियों ने निर्माण की स्वीकृति नहीं थी तब बक्सर के जिलाधकारी अंशुल अग्रवाल ने से बनाने की अनुमति दी और तब जाकर यह घर तैयार हुआ. बिहार के लोक आस्था के महापर्व छठ के अवसर पर लोकार्पण के बाद छठ घाट पर आमलोगों के बीच प्रदर्शित करने के लिए छठ घाट पर ही तैरता घर रखा गया हैं. (ANI)