झारखंड में मछलीपालन तेजी से जोर पकड़ रहा है. काफी संख्या में युवा किसान इस क्षेत्र से जुड़ रहे हैं. इनमें युवक और युवतीयां दोनों शामिल हैं. जमशेदपुर के गोलमिरी की रहने वाली एक युवा आदिवासी महिला किसान दीपाली महतो भी मछलीपालन के जरिए सफलता की नई कहानी लिख रही है. दीपाली महतो ओर्नामेंटल फिश फार्मिंग करती है. इससे वो अच्छी कमाई कर रही है. मत्स्य पालन के क्षेत्र में दीपाली ने पहली शुरुआत 2028 में की थी. इस साल उन्होंने पहली बार त्स्य पालन विभाग, झारखंड के प्रशिक्षण केंद्र में एक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया था.
इस ट्रेनिंग में उन्हें ओर्नामेंटल फिश फार्मिंग के बारे में जानकारी दी गई. ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्होंने सजावटी मछलियों को लेकर अपना खुद का काम शुरू किया. लेकिन इस बीच देश में कोरोना महामारी आ गई. इसके कारण दीपाली को अपने नए उद्यम के लिए इनपुट मिलने में और रंगीन मछलियों को बेचने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. हालांकि उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपना कार्य किसी तरह जारी रखा. इसके बाद साल 2022 में दीपाली महतो को आईसीएआर-सेंट्रल इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट, बैरकपुर ने झारखंड के मत्स्य पालन विभाग की सलाह पर जनजातीय उप-योजना के तहत उन्हें और 29 अन्य लाभार्थियों को सहायता प्रदान की.
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आईसीएआर-सीआईएफआरआई की तरफ से चयनित लाभार्थियों को एक एफआरपी सजावटी टैंक, सजावटी मछली के बीज, मछली का चारा, एक एरिएयट, दवा और मछली मालन में इस्तेमाल होने वाले अन्य सहायक उपकरण प्रदान किए.इसके अलावा आईसीएआर-सीआईएफआरआई ने लाभार्थियों के लिए एक एक्सपोजर विजिट का आयोजन किया जहां मत्स्य किसानों ने देखा कि किस तरह से रंगीन मछली का पालन किया जाता है साथ की उनके लिए एक और प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया. जिसके बाद 22-24 दिसंबर 2022 तक आदिवासी और अनुसूचित जाति के लाभार्थियों के लिए 5 दिवसीय प्रशिक्षण ट्रेनिंग और टूर कार्यक्रम आयोजित किया गया.
वहां से लौटने के बाद दीपाली महतो ने एक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया. इससे सजावटी मछली को लेकर उनका ज्ञान और बढ़ा. इसके अलावा उन्होंने हावड़ा, पश्चिम बंगाल के उन गांवों का दौरा किया जहां पर रंगीन मछली पालन होता है. उन गांवों में जाकर दीपाली ने एक्वेरियम के निर्माण, रख-रखाव और लाइवबियरर्स और अंडे की परतों जैसे गप्पी, मौली, प्लैटी और स्वोर्डटेल के प्रजनन का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया.इसके अलावा दीपाली ने प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों तरीकों सहित एक्वैरियम में मछली की चारा आवश्यकताओं, भोजन के समय, सामान्य बीमारियों, उपचार और प्रबंधन के बारे में जानकारी हासिल की.
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आईसीएआर-सीआईएफआरआई के प्रशिक्षण कार्यक्रम से प्रेरित होकर, उन्होंने झारखंड के राज्य मत्स्य पालन विभाग और डीओएफ के साथ संबंध स्थापित किए. दीपाली महतो को पीएमएमएसवाई योजना के तहत बैकयार्ड सजावटी मछली फार्म के निर्माण के लिए 3 लाख रुपये का अनुदान भी दिया गया है. वर्तमान में, उनके पास 80 टैंक और 50 एक्वैरियम के साथ 450 वर्ग फुट का सजावटी मछली फार्म है. इससे वो प्रतिवर्ष लगभग डेढ़ लाख रुपये तक कमाती है.
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