पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर किसानों का रेल रोको आंदोलन जारी है. 17 अप्रैल से शुरू हुआ किसानों का यह आंदोलन आज 16वें दिन में प्रवेश कर चुका है. किसानों के इस आंदोलन के कारण जहां एक तरफ रेल सेवाओं पर बुरा असर पड़ा है. तो दूसरी ओर इसके कारण अंबाला डिविजन में हर रोज लगभग 200 ट्रेनें प्रभावित हो रही हैं. यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं दूसरी तरफ पंजाब में उद्योग और व्यापार पर आंदोलन का असर साफ दिखाई दे रहा है. इसे देखते हुए व्यापार और उद्योग संगठनों ने अपने सदस्यों से किसानों के आंदोलन का समर्थन नहीं करने की अपील की है. इसका बहिष्कार करने का फैसला किया है.
किसान मजदूर मोर्चा (KMM) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के बैनर तले किसान रेल रोको आंदोलन कर रहे हैं. सभी किसान हरियाणा पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन साथियों की रिहाई की मांग कर रहे हैं. विरोध कर रहे किसानों का कहना है कि जब तक उनके साथियों को रिहा नहीं किया जाएगा, तब तक वे पीछे नहीं हटेंगे. इससे पहले किसान 13 फरवरी से शंभू-अंबाला और खनौरी-जींद-हरियाणा और पंजाब के बीच अंतर-राज्य सीमा पर डेरा डाले हुए हैं. सभी किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसलों की गारंटी और कृषि ऋण माफी समेत अन्य मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.
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'द हिंदू' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऑल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम के अध्यक्ष बदीश जिंदल की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि फोरम की तरफ से एक प्रस्ताव पारित किया गया है. इसमें सदस्यों से कहा गया है कि जब तक किसान सड़क और रेलमार्ग से नहीं हटेंगे तब तक किसान आंदोलन का बहिष्कार करेंगे और किसी भी रूप में किसानों के आंदोलन का समर्थन नहीं करेंगे. सदस्यों से अपील की गई है कि वे इस आंदोलन को न ही कोई वित्तीय समर्थन दें और न ही नैतिक समर्थन दें क्योंकि किसानों का यह आंदोलन उनके व्यापारिक हितों के खिलाफ है.
बदीश जिंदल ने यह भी कहा कि हरियाणा को इस आंदोलन से फायदा हो रहा है क्योंकि ग्राहक हरियाणा में उद्योग की ओर रूख कर रहे हैं. जिंदल ने कहा कि अगर अगले 10 दिनों में स्थिति सामान्य नहीं होती है तो एआईटीएफ के सदस्य काले झंडे पहन कर विरोध प्रदर्शन करेंगे. ऑल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम (AITF) के अध्यक्ष ने कहा कि आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है, इसलिए राज्य और केंद्र दोनों की सरकारें कुछ नहीं कर सकती हैं. यह बात किसानों को समझनी होगी. किसानों के पटरियों पर बैठने से राज्य को ही नुकसान हो रहा है. पंजाब डायर्स एसोसिएशन के महासचिव बॉबी जिंदल ने कहा कि ग्राहक पंजाब आने से कतरा रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि पंजाब लगातार विरोध प्रदर्शनों से परेशान है.
फोरम के सदस्यों ने कहा कि उन्होंने बार-बार किसानों से अनुरोध किया कि वे रेल और सड़क मार्ग को बंद नहीं करें. पर उनके अनुरोध का कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला. किसान बार बार सड़क और रेलमार्ग को बाधित कर रहे हैं. इससे राज्य में उद्योग क्षेत्रों को नुकसान हो रहा है. फोरम के सदस्यों ने कहा कि पंजाब के उद्योग कच्चे माल के लिए पूरी तरह से दूसरे राज्यों पर निर्भर हैं. इतना ही नहीं, उनके माल भी तैयार होने के बाद दूसरे राज्यों में ही भेजे जाते हैं. पर बार- बार हो रहे किसानों द्वारा की जा रही नाकेबंदी और रेल रोको आंदोलन के कारण होजरी, साइकिल,ऑटो पार्ट्स, हैंड टूल और कपड़ा व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा है.
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वहीं किसान मजदूर मोर्चा के समन्वयक सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि पंजाब में उद्योगों को लेकर जो चिंता जताई जा रही है वह जायज है. इस मुद्दे को हल करने के लिए सरकार को ध्यान देना चाहिए, यह सरकार का काम है. उन्होंने कहा कि किसान रेल को रोकना नहीं चाहते हैं. अगर सरकार तत्काल गिरफ्तार किए गए किसानों को रिहा कर दे तो हम रेल रोको आंदोलन को खत्म कर देंगे. उन्होंने कहा कि सड़कों को किसानों ने नहीं सरकार ने अवरुद्ध किया है.
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