कॉफी की खेती में इस वक्त किसानों को काफी फायदा हो रहा है क्योंकि कॉफी की कीतमें बढ़ी हुई हैं और किसानों को इसकी अच्छी कीमत मिल रही है. पर इसके बावजूद किसान चिंतित हैं. मामला केरल के वायनाड, कूर्ग और नीलगिरी क्षेत्र के किसानों का है. यहां के किसान कॉफी की बढ़ती कीमतों से खुश नहीं हैं. दरअसल किसान यहां के लगातार बढ़ती हुई गर्मी और तापमान को लेकर चिंतित हैं. क्योंकि अत्यधिक गर्मी के कारण कॉफी की अगली पर असर हो सकता है, उत्पादन कम हो सकता है. इससे किसानों की कमाई पर असर पड़ सकता है. केरल में इस वक्त भयंकर गर्मी पड़ रही है.
केरल के इन कॉफी उत्पादक इलाकों में तेज गर्मी और बारिश की कमी के कारण पौधे मुरझा रहे हैं. जबकि कॉफी के पौधों में फूल खिलने के लिए फरवरी के महीने में कम से कम 20-40 मिमी बारिश की जरूरत होती है. फिर इसके दो से तीन सप्ताह बाद जब फल पकने की अवस्था में होते हैं उस वक्त 40-70 मिमी बारिश की आवश्यकता होती है.पर इस बार की बात करें तो अधिकांश कॉफी उत्पादक क्षेत्रों में गर्मियों के दौरान बारिश ही नहीं हुई है. हालांकि जिन किसानों के खेतों सिंचाई की व्यवस्था है वो किसी तरह सिंचाई करके अपने पौधों को जिंदा रखे हुए हैं.
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आने वाले समय में उपज कम होने की आशंका से भी कॉफी की कीमतें लगातार बढ़ रही है. क्योंकि सभी प्रमुख कंपनियां अधिक से अधिक माल खरीद कर स्टॉक कर लेना चाहती है. रॉबस्टा कॉफी इस साल किसानों को सबसे अधिक दाम देकर कॉफी खरीद रही है. यह कंपनी केरल के वार्षिक कॉफी उत्पादन का 70 फीसदी माल खरीद खरीद लेती है. 2022-23 में लगभग 70,000 टन कॉफी का केरल में उत्पादन हुआ था. इस बार रॉबस्टा कॉफी ने सबसे अधिक कीमत 224 रुपये प्रति किलो देकर किसानों से कॉफी खरीदा है. पर इतना अच्छा दाम मिलने के बाद भी किसान संतुष्ट नहीं है.
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क्षेत्रीय कॉफी अनुसंधान स्टेशन, चुंडेल, कलपेट्टा के उप निदेशक जॉर्ज डैनियल के अनुसार गर्मियों में बारिश की कमी के कारण वायुमंडलीय तापमान में वृद्धि होगी. इसका असर आ वाले साल में कॉफी के उत्पादन पर देखने के लिए मिलेगा. उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना इस क्षेत्र के लिए काफी असमान्य हैं. यह अल नीनो की घटना का प्रभाव है. क्योंकि कई हिस्सों में गर्मियों में हल्की बारिश हुई और फल आना शुरू हुआ पर यह बारिश लगातार नहीं हुई. इसलिए केवल वही किसान सफलतापूर्वक इसकी खेती कर पाए जिनके पास सिंचाई के लिए सुविधाएं थी, क्योंकि लगभग अधिकांश जल स्त्रोत सूख गए थे. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि जब पूरी तरह से कॉफी के फल पक जाएंगे तब ही पूरी तरह से स्थिति सामने आ पाएगी. फिलहाल आकलन उत्पादन में नुकसान का ही है.
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