न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद के गारंटी के कानून के लिए राजस्थान के किसानों ने भी कमर कस ली हैं. इसके लिए 500 से अधिक ट्रैक्टरों पर सवार होकर किसानों ने जयपुर कूच करने की तैयारी कर ली हैं. बड़ी संख्या में किसान अजमेर और दूदू से होते हुए सोमवार सुबह 10 बजे जयपुर की ओर बढ़ेगे. इसके लिए गांव-गांव में जागरूक किसान प्रतिनिधियों ने घर - घर पहुंच कर किसानों को पीले चावल भी बांट दिए हैं. यही नहीं किसानों को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन ने भी कई गांवों में पहुंचकर किसानों को रोकने के लिए डराना और धमकाना शुरू कर दिया है.
इतना ही नहीं तो किसान प्रतिनिधियों को थानों में बुलाकर भी ट्रैक्टर कूच को रोकने के लिए दबाव भी बनाया जा रहा है. इस संबंध में पुलिस महानिदेशक, मुख्यसचिव और मुख्यमंत्री के निवास पर पहुंच कर किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट की ओर से ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं. किसान नेता रामपाल जाट का कहना है कि सत्य, शांति व अहिंसा के आधार पर होने वाले ट्रैक्टर कूच के आयोजन में सहयोग की विनती की गई है. साथ ही बताया गया है कि उनके नेतृत्व में पिछले 44 वर्षों की अवधि में होने वाले आंदोलन शांतिपूर्ण ही रहे हैं, इसलिए इस प्रकार के शांतिपूर्ण आंदोलनों को दमन के आधार पर रोकना भारतीय संविधान की भावनाओं को आहत करने वाला और लोकतंत्र को कुचलनें वाला है.
यह भी पढ़ें-ड्रिप सिंचाई प्रणाली से बदल रही खूंटी के किसानों की तकदीर, खेती से आमदनी बढ़ी तो पलायन कम हुआ
लोकतंत्र को बचाते हुए फसलों के उन दामों की प्राप्ति के लिए जिन्हें सरकार न्यूनतम दामों के रूप में घोषित करतीं हैं, किसानों ने भी ट्रैक्टर कूच को सफल करने के लिए कमर कसी हुई है. बता दें कि किसानों का यह कूच अजमेर और दूदू जिले की सीमा से लगे राष्ट्रीय राजमार्ग से जयपुर तक पहुंचेगा. सरकार ने फसलों के दाम के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का कानून नहीं बनाया तो यह कूच दिल्ली की ओर बढ़ेगा. किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि आंदोलन को सरकार ने दबाने या कुचलने का तानाशाही ढंग से प्रयास किया तो राजस्थान के 45 हजार गांव को बंद का आवाहन किया जायेगा.
यह भी पढ़ें- पीएम मोदी ने एमएसपी पर रखी बात, कहा- किसानों को पहले से कई गुना ज्यादा MSP मिल रही
इस अवसर पर किसान अपने गांव में ही रहेंगे और आपातकालीन स्थिति को छोड़कर कोई यात्रा नहीं करेगा. किसानों ने कहा कि अपनी सरसों जैसी उपजें, सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों पर बेचने को विवश होना पड़ रहा है. पिछले एक माह से एक सरसों 650 से लेकर 1400 रुपए प्रति क्विंटल घाटे में बेचनी पड़ रही है, इसी प्रकार मूंगों में भी दो से ढाई हजार रुपए प्रति क्विंटल का घाटा उठाना पड़ा था. इस घाटे से बचने के लिए देश के किसान एमएसपी के लिए खरीद के गारंटी का कानून बनवाने के लिए किसान खेती की कमाई छोड़कर लड़ाई के लिए सड़कों पर उतरने को विवश हैं.
(विशाल शर्मा)
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today